10 June 2018

WISDOM ---- कर्मकांड सरल है , लेकिन सच्चे ह्रदय से ईश्वर का स्मरण बहुत कठिन है l

  जब  तक  व्यक्ति  का  चित शुद्ध  न  हो  ,  ईश्वर  का नाम  स्मरण  करना  बहुत  कठिन  है   l  मन  चंचल  है , संस्कार  शुद्धि  के  बिना  सुमिरन  आसान  नहीं  है   l
        जयदयाल   गोयन्दका   जी  कलकत्ता  के  एक  बड़े  उद्दोगपति  और  धर्मपरायण  व्यक्ति  थे  l   उन्होंने  श्री  हनुमान प्रसाद  पोद्दार  जी  के  साथ  मिलकर   धार्मिक  प्रकाशनों  द्वारा  ऐसी  क्रांति  की   जिससे    लोगों  में  सच्चे  धर्म   के  प्रति  रूचि  पैदा  हुई  l   एक  बार  का  प्रसंग  है  -----  उनने  देखा  एक  भिखारी  भगवान  के  नाम  पर  भिक्षा  मांग  रहा  है  l  उनने  उससे  कहा --- "  तुम्हारी  यह  स्थिति  बदल  जाएगी  ,  यदि  हमारे  कहे  पर  चलोगे  l "  उससे  पूछा ---- " तुम  एक  दिन  में  कितना  कमा  लेते  हो  ? "
 भिखारी  ने  कहा ---- " कभी  चार  आने  कभी  आठ  आने  l  "  (  उस  समय  इसकी  कीमत  बहुत  थी  )
  उनने  कहा --- " हम  दो  रूपये  रोज  देंगे  l  हमारी  दुकान  के  बाहर  बैठकर  राम - राम  जपो  l "
 वह  बैठ  गया  , पर  तीन - चार  दिन  बाद  गायब  हो  गया   l  फिर  मिला  तो  ,  भीख  मांग  रहा  था  l
 गोयन्दका  जी  बोले  --- " हमसे  पांच  रूपये  रोज  ले  लो ,  पर  राम - नाम  का  जप  वहीं   दुकान  के  सामने  करो   l  "     वह  प्रलोभन  में  आया  तो  ,  पर  अधिक   बैठ  नहीं  पाया  l   फिर  जयदयाल  जी  ने  उसे  ढूंढ  निकाला  l  कारण  पूछा  तो  वह  बोला ---- " "  आप  पूरी  दुकान  भी  लिख  दो   तब  भी  वह  राम - नाम  जपने  का  काम  हम  नहीं  कर  पाएंगे  l  हमें  भीख  मांगने  में  जो  आनंद  आता  है  ,  वह  आपके  दिए  पैसों  में  नहीं  ,  और  फिर  हमारा  मन  भी  नहीं  लगता   l "
 सुमिरन  आसान  नहीं  है  l