29 December 2022

WISDOM ----

   लघु -कथा --- एक  बार  एक  राजा  ने   मंत्री  ने  प्रश्न  किया  कि  ,  क्या  गृहस्थ  में  रहकर  भी  ईश्वर  को  प्राप्त  किया  जा  सकता  है  ?   मंत्री  ने  कहा  --हाँ  ऐसा  संभव  है  लेकिन  इस  प्रश्न  का   उत्तर  समझकर , सही  तरीके  से  एक  महात्मा  दे  सकते  हैं  जो   गोदावरी  नदी  के  पास  एक  घने  वन  में  रहते  हैं  l  राजा  अपने  प्रश्न  का  उत्तर  पाने  के  लिए  दूसरे  दिन   मंत्री  को  साथ  लेकर  महात्मा  से  मिलने  चल  दिए  ल  दो -चार  कदम  चलकर  मंत्री  ने  राजा  से  कहा --- " महाराज  !  ऐसा  नियम  है  कि  जो  महात्मा  से  मिलने  जाता  है  , वह  रास्ते  में  चलते  हुए   कीड़े -मकोड़ों  को  बचाता  चलता  है  l  यदि  एक  भी  कीड़ा  पांव  से  कुचल  जाए  तो  महात्मा जी श्राप  दे  देते  हैं  l  राजा  ने  मंत्री  की  बात  स्वीकार  कर  ली   और  खूब  ध्यानपूर्वक   आगे   की  जमीन  देख -देखकर  पांव  रखने  लगे  l  इस  प्रकार  सावधानी पूर्वक   चलते  हुए  वे  महात्मा जी  के  पास  पहुंचे  l   महात्मा  ने  दोनों  को  सम्मान पूर्वक  बैठाया   और  राजा  से  पूछा ---l  राजन !  आपने  रास्ते  में  क्या -क्या  देखा  l  राजा  ने  कहा ---  भगवान  !  मैं  तो  आपके  श्राप  के  डर  से    रास्ते   भर  कीड़े -  मकोड़ों  के  देखता  और  उन्हें  बचाता  आया  l   इसलिए  मनेर  ध्यान  दूसरी  ओर  गया  ही  नहीं   l  रास्ते  के  द्रश्यों  के  बारे  में  मुझे  कुछ  मालूम  नहीं  l  "   महात्मा  ने  कहा --- "  यही  तुम्हारे  प्रश्न  का  उत्तर  है  l  जिस  तरह  मेरे  श्राप  से  डरते  हुए  तुम  यहाँ  तक  आए  , उसी  तरह  ईश्वर   के  दंड   से  डरना  चाहिए  l   कीड़ों  को  बचाते  हुए  जैसे  चले ,  उसी  प्रकार  दुष्कर्मों  से   बचते  चलना  चाहिए  l  रास्ते  में  अनेक  द्रश्यों   के  होते  हुए  भी  वे  दिखाई  न  पड़ें  l  उनके  आकर्षण  में   उलझो  नहीं  l  जिस  सावधानी  से  तुम  मेरे  पास  आए  हो  उसी  सावधानी  के  साथ  जीवन  क्रम  चलाओ  तो  गृहस्थ  में  रहते  हुए  भी  ईश्वर  को  प्राप्त  कर  सकते  हो  l  "   राजा  को   अपने  प्रश्न  का  उत्तर  मिल  गया   और   उसने  महात्मा जी  के  बताए  मार्ग  पर  चलने  का  प्रयास  शुरू  किया  l