22 June 2019

WISDOM ---- धार्मिक सहिष्णुता में जिनकी निष्ठा अपूर्व थी ---- उस्ताद अलाउद्दीन

 आज  से लगभग  सौ  वर्ष  पूर्व  की  घटना  है -- एक  युवक  अपनी  नव वधू  और  माता - पिता  को  छोड़कर  कलकत्ता  की  सड़कों  पर  चार  दिन  से  भूखा  भटक  रहा  था  l  चक्कर  आने  लगे  और  कुछ  दूर  चलकर  एक  मंदिर  की  सीढ़ियों  पर  निढाल  हो  गया  l  पुजारिन  ने  उसे  थोड़ा  पानी  पिलाया  और  सहारा  देकर  अन्दर  ले  गईं l  वह  समझ  गईं  कि  भूख  के  कारण  युवक  की  ये  हालत  है  l  उन्होंने  उसे  पूरी  व  हलवा  दिया  ,  खाकर  युवक  तृप्त  हुआ  l  पुजारी  ने  पूछा --- कहाँ  से  आये  हो   बेटा  l
  उसने  कहा --- 'शिवपुर ' से  l
' घर  छोड़  दिया  क्या  ? "   उत्तर ---- ' हाँ ' 
पुजारी  ने  पूछा --- 'क्यों ? '   युवक  ने  उत्तर  दिया --- ' संगीत  सीखने  के  लिए  ' 
पुजारी  ने  आनंद विभोर  होकर  कहा --- ' नाद  ब्रह्म  की  साधना  करोगे  l '
युवक  ने  उत्तर  दिया --- ' हाँ , महाराज  ! '
वह   मंदिर  था  दक्षिणेश्वर  का  कालिका  मंदिर ,  पुजारी  थे  स्वामी  रामकृष्ण  परमहंस ,  युवक  को  खाना  देने  वाली  माँ    शारदामणि   और  नाद ब्रह्म  के  जिज्ञासु  साधक  थे --- उस्ताद  अलाउद्दीन  खां  l  
स्वामी  रामकृष्ण परमहंस  ने  वेदान्त  की  शिक्षाओं  के  प्रचार  के  लिए  स्वामी  विवेकानंद  को  चुना    तो  नाद  ब्रह्म  की  उपासना - पद्धति  के  प्रचार  के  लिए  उस्ताद  अलाउद्दीन  खां  को   l  
सत्संस्कार  --- हिन्दू  हो  या  मुसलमान  किसी  भी  जाति  के  व्यक्ति  में   विद्दमान  हों  ,  उन्हें  प्रयोग  और  साधना  के  माध्यम  से  जाग्रत  और  प्रखर  किया  जा  सकता  है  l  
   बात  1914  की  है  l  ' लाल  बुखार  ' की महामारी  से  आसपास  के  इलाके  में  लोग  कीट - पतंगों ' की  तरह  मर  रहे  थे  l  चिकित्सा  आदि  की  व्यवस्था  न  होने  के  कारण   रोग  पीड़ित  व्यक्तियों  को  रोग मुक्त  करने  के  लिए   कुछ  किया  तो  नहीं  जा  सकता  था  l  बाबा  का  ध्यान  महामारी  के  कारण  अनाथ  हुए  बच्चों  की  ओर  गया   l  उन्होंने  सब  बच्चों  को  एकत्रित  किया  और  अपने  एक  शिष्य  राजा  से   कहकर   उनके  रहने  और  भोजन  आदि  की  व्यवस्था  करा  दी  l   उनकी  पत्नी  रुई  की  बत्ती  से  बच्चों   को  बूंद - बूंद  कर  दूध  पिलाती  l  दोनों  ने  मिलकर  सब  बच्चों  को  पाला - पोसा  और  बड़ा  कर  लिया  l   बच्चे  कुछ  और  बड़े  हुए   तो  उत्तरदायी  पिता  की  तरह  उन्हें  आत्मनिर्भर  बनाने  की  योजना  बना  डाली   और  उस  योजना  के  अनुसार  ही  तैयार  हो  गया    युग  प्रसिद्ध  ' मैहर  बैंड '  l  जिसने  देश  के  कोने - कोने  में  ख्याति  प्राप्त  की  l