25 September 2021

WISDOM-------

     एक  कथा  है  --- महर्षि  व्यास जी  के  पुत्र  शुकदेव जी   पैदा  होते  ही  जंगल  चले  गए   l   व्यास जी  उनके  पीछे  भागे   और  बोले  यह  अवस्था  तुम्हारी  इसके  लिए  नहीं  है  ,  तुम्हे  अभी  गृहस्थ आश्रम  के   पूर्व  पच्चीस  वर्ष   तक  ब्रह्मचर्य  का  पालन  करना  है   l   तुम  अभी  से  वीतराग  मत  बनो   l   तब  शुकदेव जी  ने  व्यास जी  को  एक  श्लोक  सुनाया  ,  उसका  मर्म  इस  प्रकार  है     ------- " मान  लीजिए   आप  ब्रह्मचर्य  की  बात  कहते  हैं  तथा  पच्चीस  वर्ष  तक   बिना  किसी  कामना  के   जिन्दा  रहना  चाहिए   तो  सारे  नपुंसक  मुक्ति  पा  जाते   l   गृहस्थ  से  मुक्ति  मिलती  तो   सारे  पतंगे , मच्छर , मक्खी  मुक्ति  पा  जाते   l  वानप्रस्थ  के  बाद  मुक्ति  मिलती   तो  चीते , बन्दर  भालू   मुक्ति  पा  जाते ,  क्योंकि  ये  सदैव  वन  में  ही  रहते  हैं   l   यदि  संन्यास  से  मुक्ति  मिलती   तो  जितने  भिखारी    समाज  में  हैं  ,  वे  सभी  मुक्ति  पा  जाते  l   इसलिए  इन्हे  तो  आप  मुक्ति    का  माध्यम  मत  बताइये  l   तब  व्यासजी   अपने  बिद्वान   पुत्र  से  पूछते  हैं   कि   फिर  मुक्ति  कैसे  मिलती  है   ?  शुकदेव जी  कहते  हैं ----मुक्ति  भगवान  के  परम  पद  का  ध्यान  करने  से  मिलती  है  l