17 September 2023

WISDOM -----

   इस  संसार  में  अंधकार  और  प्रकाश   में  निरंतर  संघर्ष  है  l  प्रकाश  आते  ही  अंधकार  का  अस्तित्व  ही  समाप्त  हो  जाता  है   l   अंधकार  में  , नकारात्मकता  के  साथ  जीने  वाले  को  भी  यदि   किसी  तरह  एक  बार  ईश्वरीय  प्रकाश  के  दर्शन  हो  जाएँ  तो  वह  वापस  अंधकार  की  ओर  नहीं  लौटता  l  ' पतंगे  को  दीपक  का  प्रकाश  मिल  जाए   तो  फिर  वह  अँधेरे  में  नहीं  लौटता  ,  भले  ही  उसे  दीपक  के  साथ  प्राण  गँवाने  पड़े  l    पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- " विषयों  में  मिलने  वाले  आनंद  से  मनुष्य  कभी  अघाता  नहीं  है , उसे  कभी  तृप्ति  नहीं  होती  l  लेकिन  जब  उसे  ईश्वरीय  प्रकाश  के  दर्शन  होते  हैं , अपनी  आत्मा  में  परमात्मा  की  अनुभूति  होती  है  तब  उसे  परम  आनंद  ,  तृप्ति  और  शांति  प्राप्त  होती  है  l '   एक  रोचक  कथा  है -------- " श्रीरंगम  में  प्रत्येक  वर्ष  एक  मेला  लगता  था  l  उसमें  श्री  रामानुजाचार्य  भी  अपने  शिष्यों  के  साथ  जाते  थे  l  एक  दुर्दांत  डाकू  जिसका  नाम  दुर्दम  था   वह  भी  उस  मेले  में  आता  था  l  उसका  उदेश्य   श्रीरंगम  की  छवि  के  दर्शन  करना  नहीं  था  l   वह  एक  सुन्दर  महिला  के  प्रति  आसक्त  था   और  उसी  सुंदरी  के  पीछे  छाता  लगाकर  चलता  था  l  उस  डाकू  के  आतंक  के  कारण  कोई  उससे  कुछ  कहता  नहीं  था  l     जब  आचार्य  रामानुज  ने  उसे  देखा  तो  शिष्यों  से  कहा --- ' उसे  मेरे  पास  बुलाओ  l "  आचार्य की  शक्ति  के  बारे  में  जानता  था  इसलिए  न  चाहते  हुए  भी  वह  उनके  पास  पहुंचा  l  आचार्य जी  उससे  बोले --- '  हमें  बड़ा  अचरज  है  कि  सभी  भगवान  के  सौन्दर्य  के  दर्शन  कर  रहे  हैं  और  तुम  एक  स्त्री  में  आसक्त  हो  l "  डाकू  बोला --- ' यह  सुन्दरतम  स्त्री  है , मैं  इसे  चाहता  हूँ  l "  आचार्य  रामानुज  बोले --- '  हम  इससे  भी  सुन्दर  कुछ  दिखा  दें  तो  क्या  तुम  इसे  छोड़   दोगे  ? "  ऐसा  कहकर  वे  उसे  श्रीरंगम  की  छवि  के  दर्शन  कराने  ले  गए  l  आचार्य  की  प्रार्थना  पर   भगवान  श्रीकृष्ण  ने   उसे  अपने  अप्रतिम  सौन्दर्य  की  एक  झलक  दिखाई  l  अपूर्व  सौन्दर्य  को  देखकर  वह  भाव विह्वल  हो  गया   और  बोला ---" महात्मन  ! अब  तो  मुझे  इन्ही  भगवान  को  प्राप्त  करना  है  l "  इस  पर  आचार्य  बोले --- " यदि  तुम  निर्दिष्ट  तप , साधना  व  ध्यान  करोगे  तो  भगवान  का   यह  अपूर्व  सौन्दर्य  तुम्हारे  ह्रदय  , तुम्हारी  आत्मा  में  टिकेगा  और  तुम्हे  सतत  दीखता  रहेगा   l " वह  डाकू  इसके  लिए   तैयार  हो  गया   तप , साधना  और  ध्यान  करते -करते   उसकी  चित शुद्धि  होने  लगी   और  उसकी  आत्मा  में  भगवान  की  मनोहर  छवि  स्थिर  होने  लगी  , ध्यान  में  वह  उस  मनोहर  छवि  के  दर्शन  करने  लगा  l  फिर  आचार्य  रामानुज  ने  उसी  स्त्री  से  उसका  विवाह  करा  दिया  l   उसने  सारा  जीवन  सदगृहस्थ  के  रूप  में  जिया  l लोकसेवा  भी  करने  लगा  l  आचार्य  कावेरी  से  स्नान कर  लौटते  तो  उसके  कंधे  पर  हाथ  रखकर  आते  ,  कोई  पूछता  तो  कहते  कि  तुम  उसका  ह्रदय  देखो  , उसमें  भगवान  बसते  हैं  l  भगवान  के  दिव्य  सौन्दर्य  के  दर्शन  ने  उसके  जीवन  को  परिवर्तित  कर  दिया  l