15 August 2018

WISDOM ----- लोभ - लालच को स्वयं पर कड़ा अंकुश लगाकर नियंत्रित करना पड़ता है , विचार - क्रांति अनिवार्य है

   दण्ड   का  भय  दिखाकर    लोभ ,  लालच , भ्रष्टाचार   आदि  मनुष्य  की  दुष्प्रवृतियों   को   बहुत  देर  तक  रोका  नहीं  जा  सकता    l   कामना ,  वासना ,  तृष्णा  में  व्यक्ति  अन्धा  हो  जाता   है और  इसकी  पूर्ति  के  लिए   वह   शिक्षा , चिकित्सा ,  धार्मिक  स्थल ,  वन ,  कृषि ,  रिश्ते - नाते   ------ कोई  भी  क्षेत्र  हो  ,  वह  अतिक्रमण  करने  से    चूकता    नहीं  है  l   जब  तक  मनुष्य  स्वयं  न  सुधरना  चाहे  ,  उसे  संसार  की  कोई  ताकत  सुधार  नहीं  सकती  ,  इसलिए  विचार - क्रांति  अनिवार्य  है  l  
    एक  कथा  है ----- एक  दर्जी  बीमार  पड़ा  , मरने  की  नौबत  आ  गई  l  एक  रात  उसने  सपना  देखा  कि  वह  मर  गया   और  कब्र  में  दफनाया  जा  रहा  है  l  वह  बड़ा  हैरान  हुआ  यह  देखकर  कि  कब्र  के  चारों  और  रंग - बिरंगी    झंडियाँ  लगी  हैं  l  उसने  पास  खड़े  फरिश्ते  से  पूछा  कि  ये   झंडियाँ  क्यों  लगी  हैं   ?  फरिश्ते  ने  कहा --- "  जिन - जिन  के  कपड़े  तुमने  जीवन  भर  चुराए  ,  उनके  प्रतीक  के  रूप  में  ये  झंडियाँ  लगी   हैं  l  परमात्मा  इनसे  तुम्हारा  हिसाब - किताब    करेगा  l  "  झंडियाँ  अनगिनत  थीं   l  घबराहट  इतनी   बड़ी  कि  दरजी  की  आँख  खुल  गई  l  कुछ  दिन  बाद  जब  वह  ठीक  हुआ  तो  दुकान  पर  आया   l   उसने  अपने  अधीनस्थ  कर्मचारियों  को  हिदायत  दी  कि,  देखो  मुझे  अपने  पर  भरोसा  नहीं  है  ,  जब  भी  कीमती  कपड़ा  आता  है  मैं  ललचा  जाता  हूँ  ,  इस  पुरानी   आदत  को  बुढ़ापे  में  बदलना  कठिन  है   l  तुम  सब  एक  ख्याल  रखना  कि  जब  भी  मुझे  कपड़ा   चुराते  देखो  तो  बस  इतना भर  कह  देना --- " उस्तादजी  ! झंडी  ! "   स  मैं  सचेत  हो  जाऊँगा  l
  शिष्यों  ने  पूछा --- ' इसका  मतलब  ? '  उसने  कहा -- तुम  इन  सबमे  मत  उलझो ,  मेरे  लिए  बस  इतना  इशारा  काफी  है  l 
 एक  सप्ताह  तक  तो  शिष्य  उस्ताद  को  झण्डी  की  याद  दिलाकर  रोके  रहे  किन्तु  इसके  बाद  बड़ी  मुसीबत  हो  गई   l  किसी  ग्राहक  का  विदेशी  सूट  सिलने  आया  l  उस्ताद  ने  पीठ  फेरी  और  लगा  चोरी  करने  l  शिष्यों  ने  टोका --- उस्तादजी  !  झण्डी !   बार - बार सुनने  पर  उस्ताद  चिल्लाया  --- " बंद  करो  बकवास  l  अपना  काम  करो  l  तुम्हे  पता  भी  है  ,  वहां  इस  रंग  की  झण्डी  थी  ही  नहीं  l  यदि  इतनी  झंडियाँ  लगी  हैं   तो  एक  और  झण्डी  लग  जाएगी   l  "
   उथले  नियम   जीवन  को  दिशा  नहीं  दे  पाते   l