3 June 2021

WISDOM ------

    विज्ञान   के  साथ  यदि  संवेदना  नहीं  है  तो  वह  केवल  विध्वंस  कर  सकता  है    लेकिन  हमारे  अध्यात्म  में  वो  शक्ति  है   जो  मनुष्य  को  चेतना  के  उच्च  शिखरों  पर  ले  जाती  है   l   ज्ञान  के  साथ  जब  लोभ - लालच  और  इससे  बढ़कर  अहंकार  और   व्यापार  जुड़  जाता  है  तब  वह  सम्पूर्ण  मानव   जाति   के  लिए  खतरा  बन  जाता  है    l   विज्ञान  ने  अणुबम  बना  लिया  ,  यह  केवल  भीषण  विनाश  ही  कर  सकता  है  ,  इसे  किसी  देश  पर  गिरा  दिया  तो    अब  इसे  वापस  नहीं  बुलाया  जा  सकता  ,  यह  तो  सम्पूर्ण  विनाश  कर  ही  देगा   लेकिन  अध्यात्म  की  शक्ति  से  हमारे   ऋषि- वैज्ञानिक  जिनके  पास   तप  की ,  साधना  की  शक्ति  थी  ,  ऐसे  अस्त्र  बनाये  जिन्हे  वापस  भी   बुलाया  जा  सकता  है   l   जिसे  लक्ष्य  कर  के  संधान  किया  जाये  ,  वह  उसी  का  वध  करता  था  ,   निर्दोष  बच्चों  का , महिलाओं  का  वध  नहीं  करता  था   जैसे  महाभारत  में  अर्जुन  ने  जयद्रथ  को  लक्ष्य  कर  के  पशुपति  अस्त्र   का  संधान  किया   तो  उसने  केवल  जयद्रथ  का  ही  वध  किया   l   जयद्रथ  के  पिता  को  वरदान  था  कि    जिसके   द्वारा  जयद्रथ  का  सिर   जमीन   पर  गिरेगा  उसके  सिर   के  भी  सौ  टुकड़े  हो  जायेंगे  l   श्रीकृष्ण  ने  अर्जुन  को  इस  बात  से  अवगत  करा  दिया  था   इसलिए  अर्जुन  ने  मन्त्र  से  और  अपने  मन  की  शक्ति  से   पशुपति  अस्त्र  का  ऐसे  संधान  किया  कि   जयद्रथ  का  सिर    कटकर    बहुत  दूर  जहाँ  उसके  पिता  तपस्या  कर  रहे  थे  ,  उनकी  गोद   में  गिरा  ,  वे    भड़भड़ा   कर  खड़े  हुए   और  सिर   के  जमीन पर  गिरते  ही  उनके  भी  सौ   टुकड़े  हो  गए    l   वैज्ञानिक  तो  आज  भी  साधना  करते  है  ,  एक - एक  अनुसन्धान  के  पीछे  उनकी  एकाग्रता  ,  जीवन  भर  की  तपस्या  होती  है   l   उनके  आविष्कार   घातक    तब  बन  जाते  हैं  जब  शक्तिशाली   और  व्यापारिक    बुद्धि  के  लोग  अपने  स्वार्थ  और  अपनी  महत्वाकांक्षा   की  पूर्ति  के  लिए   उनका  इस्तेमाल  करते  हैं   l    फिर  चाहे  वह  कोई  सा  भी  क्षेत्र  हो   उसका  परिणाम  मानव  जाति  और  सम्पूर्ण  पर्यावरण  के  लिए  ही   घातक  होता  है   l   जैसे  कृषि  के  क्षेत्र  में    रासायनिक  उर्वरक , कृत्रिम  बीज ,  कीटनाशक    आदि  के  प्रयोग  के  कारण  यह  रसायन  मनुष्य  के  पेट  में  जाकर  अनेक  बीमारी  पैदा  करता  है   इसी  तरह  चिकित्सा  के  क्षेत्र  में  एक  बीमारी  को  नियंत्रित  करो  तो  उसके  एवज  में  3 -4   नई  बीमारी  पैदा  हो  जाती  है   l   दुर्बुद्धि  ने  मनुष्य  शरीर  को  एक  प्रयोगशाला  बना  दिया  है  l 

WISDOM -----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- '  जब  तक  शक्ति-मंतों   की   भुजा  में  बल ,  वाणी  में  प्रभाव    और  विस्तार  पर  नियंत्रण  रहता  है  ,  सभी  उसे  नमन  करते  हैं  ,  उसके  अत्याचार  को  वीरता , अनीति  को  चातुर्य   और  शोषण  को  आवश्यकता   मानते  रहते  हैं   l   किन्तु  ज्योंही    उनकी  ये  विशेषताएं  समय  पाकर  क्षीण   हो  जाती  हैं   त्योंही  लोगों  के  मन   और  दृष्टिकोण  बदल  जाते  हैं   l   उसके  गुण   नीचे  पड़  जाते  हैं   और  सारे  दोष  उभर  आते  हैं    l  '  आचार्य श्री  लिखते  हैं  --- ' वास्तव  में  अधिकार  पद  बड़ा  विडम्बनापूर्ण  होता  है   l   जब  तक  वह  सक्षम  और  समर्थ  है  ,  लोग  उसकी  झूठी  चाटुकारी   किया  करते  हैं   और  जब  वह  असहाय  और  विवश  होता  है    तो  तुरंत  आँखें  ही  नहीं  फेर  लेते   बल्कि    फिर  न  उठ  सके  इसके  लिए  दो  धक्के   और  दे  देते  हैं   l  '