11 October 2021

WISDOM -------

    ईश्वर  के  समक्ष  अच्छे  और  बुरे   लोगों  के   प्रति  कोई  भेदभाव  नहीं  है   l   ईश्वर  यदि  किसी  की  प्रार्थना  सुनते  हैं     तो  वह  है  सच्चे  लोगों  की  l  इसलिए  तुलसीदास जी  ने  रामचरितमानस  में  लिखा  है  ------ ' निर्मल  मन  जन  सो  मोहि  पावा  ,  मोहि  कपट  छल  छिद्र  न  भावा  l '  भगवान  को  तो  निष्कपट  और   सरल  हृदय  मनुष्य  ही  प्रिय  हैं   और  इन्ही  में  भगवान  का  वास  होता  है   l   गीता  में  कहा  है --- भगवान  दुराचारी  के  तो  हो  सकते  हैं   पर  कपटी  के   कभी  नहीं  हो  सकते   l  श्री कृष्ण  ने  कुब्जा  का  कूबड़  तो  ठीक  कर  दिया  था   क्योंकि  अनन्य  भाव  से   श्रीकृष्ण  उसमे  बसते   थे    ,  लेकिन  कपट  लेकर  आई   रावण  की  बहन  सूर्पणखा   जो  कहती  थी  --- " तुम  सम  पुरुष  न  मो   सम  नारी  "    को   अपनी  नाक  कटवा  कर  जाना  पड़ा    भगवान  कभी    छल - कपट  पसंद  नहीं  करते   l