बच्चा दिए को बड़ी मोहक द्रष्टि से देख रहा था | घर ठहरे मेहमान ने पूछा --" बेटा ! यह प्रकाश कहाँ से आया ? " बच्चे ने उत्तर दिया--" भगवान के घर से | " अतिथि ने पूछा--" अच्छा, तुम भगवान को जानते हो तो बताओ वह कहाँ रहता है ?"
बच्चे ने दीपक को बुझाते हुए कहा--" यह प्रकाश जहाँ चला गया, वहां |"
अद्रश्य प्रकाश के रूप में वही तो कण-कण में विद्दमान है | बालसुलभ निश्छलता-पवित्रता को पाये बिना हम कभी भगवान की उपस्थिति की, उसकी सत्ता के हमारे रोम-रोम में बसे होने की अनुभूति नहीं कर सकते |
बच्चे ने दीपक को बुझाते हुए कहा--" यह प्रकाश जहाँ चला गया, वहां |"
अद्रश्य प्रकाश के रूप में वही तो कण-कण में विद्दमान है | बालसुलभ निश्छलता-पवित्रता को पाये बिना हम कभी भगवान की उपस्थिति की, उसकी सत्ता के हमारे रोम-रोम में बसे होने की अनुभूति नहीं कर सकते |