8 December 2019

WISDOM -----

 इस  दुनिया  में  अधिकतर  क्लेश - कलह   व  झगड़ों  का  कारण   व्यक्ति  की  वाणी  है   l     कठोर  वचन   उस  पत्थर  की  तरह  कठोर  होते  हैं   जो  अपने  प्रहार  से   उनके  अंतर्मन  में  ऐसे   घाव   अवश्य  छोड़  जाते  हैं   ,  जिन्हे  भर  पाना  संभव  नहीं  होता  l
  द्रोपदी  सहज  परिहास  में  भूल  गई  कि   दुर्योधन  को   '  अंधों  के  अंधे --- '  सम्बोधन  से   अपमान  का  अनुभव  हो  सकता  है  l   दुर्योधन    द्वेष वश    नारी  के  शील  का  महत्व   भूल  गया    ,  अपनी  ही  कुलवधू  को  अपमानित  करने  लगा  l
ऋषियों  का  कहना  है  कि   हम  अपनी  वाणी  पर  संयम  रखें ,  गलती  होने  पर  क्षमा - याचना  करें  l   दुनिया  में  ऐसे  कई  लोग  हैं  जिनका  अपनी  वाणी  पर  बिलकुल  भी   संयम  नहीं  है  l   उनके  मन  में  जो  भी  आता  है  बोल  देते  हैं   l   वाणी  की  अभिव्यक्ति  होने  के  साथ - साथ  व्यवहार  का   ध्यान  रखना  भी  बहुत  जरुरी   होता  है   l   यदि  वाणी  के  कहे  अनुसार   हम  कार्य  नहीं  करते   और  उसके  अनुरूप  उचित  व्यवहार  नहीं  करते    तो  मनुष्य  की  प्रमाणिकता  पर   प्रश्न  चिन्ह  लग  जाता  है   l   इसलिए  हमारे  समाज  में  वचन , प्रतिज्ञा  व  संकल्प  का  बहुत  महत्व   है   l