यह संसार हो या देवलोक , जिनके पास भी सत्ता , धन -वैभव , सौन्दर्य , यौवन ----जो भी है , उसे उसके खोने का भय सताता है l यह सुख जितना अधिक है , इस सुख को खोने का भय उतना ही अधिक है l सबसे ज्यादा भयभीत तो स्वर्ग के राजा इंद्र हैं l किसी को भी कठिन तप करते और आगे बढ़ते देख वे काँप जाते हैं , उनको अपने इन्द्रासन पर खतरा मंडराता दीखता है और फिर वे उसको पीछे धकेलने के लिए सब तरीके इस्तेमाल करने लगते हैं l विश्वामित्र की तपस्या भंग करने के लिए स्वर्ग की सबसे सुन्दर अप्सरा मेनका को भेज दिया l एक कथा है ----- एक महात्मा की तपस्या का यह प्रभाव था कि उनके आश्रम में शेर और गाय एक घाट पर पानी पीते थे l उनके तप से भयभीत इन्द्रासन काँप गया l देवराज इंद्र तरह -तरह के उपाय सोचने लगे कि कैसे इन महात्मा की तपस्या को भंग किया जाये l अंत में वे एक क्षत्रिय का वेश धारण कर उन महात्मा के आश्रम में गए और उन महात्मा से कहा --- " भगवान ! आप कुछ देर मेरी तलवार अपने पास रख लीजिए , मैं समीप के सरोवर में स्नान कर के आता हूँ l " महात्मा सरल स्वभाव के थे , तलवार को अपने पास सम्हाल कर रख लिया , लेकिन इंद्र वापस आए ही नहीं l किसी की अमानत को सुरक्षित वापस करना भी धर्म है , अत: अब वह महात्मा उस तलवार की रक्षा में अपना जप , तप साधना सब भूल गए l दिनचर्या का और तप का क्रम बिगड़ा तो उसका प्रभाव भी कम हो गया , यह देखकर इंद्र का भय भी कम हो गया