21 October 2022

WISDOM -----

 गोस्वामी  तुलसीदास जी  ने  लिखा  है ---- मोहि  कपट , छल , छिद्र  न  भावा  l  निर्मल  मन  जन  सो  मोहि  पावा  l   जिनका  भी  मन  निर्मल  है , सरलता  है  उन्हें  कभी -न -कभी  और  किसी -न -किसी  रूप  में  ईश्वर  की  अनुभूति  अवश्य  हुई  है  l  जिनके  मन  में  कपट  है  , ईश्वर  उनसे  कोसों  दूर  है  l  एक  कथा  है -----  एक  गरीब  विधवा  स्त्री  थी  l  उसका  एक  बेटा  था  रामू  l   उसने  उसे  स्कूल  भेजा  l  उसके  घर  से  विद्यालय  बहुत  दूर  था  और  रास्ते  में  जंगल  पड़ता  था  l  रामू  बहुत  छोटा  था  इसलिए  उसे  जंगल  में  डर  लगता  था  l  वह  अपनी  माँ  से  कहता --- " माँ , मुझे  जंगल  में  डर  लगता  है  , तुम  मुझे  पहुँचाने  चलो  l "  माँ  ने  कहा --- " बेटा , मैं  घरों  में  काम  करने  जाती  हूँ  , तेरे  साथ  नहीं  जा  सकती  l  हाँ , जंगल  में  तेरा  भाई  गोपाल  रहता  है , वहीँ  गाय  चराता  है  ,  तू  उसे  बुला  लेना  l "   अब  जंगल  में  पहुँचते  ही   रामू  ने  पुकारा  --- 'गोपाल  भैया  जल्दी  आओ  , मुझे  डर  लग  रहा  है  l ' कृष्ण  भगवान  ग्वाले  के  रूप  में  आ  गए   और  रोज  उसे  विद्यालय  पहुंचा  देते  l  अब  रामू  बहुत  खुश  था  , माँ  से  कहता  -- 'माँ , गोपाल  भैया  रोज  आ  जाते  हैं , अब  मुझे  डर  नहीं  लगता  l '  माँ  को  कुछ  समझ  नहीं  आया  , वह  संतुष्ट  हो  गई  कि  उसका  बेटा  अब  डरता  नहीं  है , रोज  स्कूल  जाता  है  l   एक  दिन  स्कूल  में  उत्सव  था  , गुरु जी  ने  सब  बच्चों  से  कहा --- " कल  यहाँ  उत्सव  है , सब  बच्चे  कुछ  न  कुछ  लेकर  आना  l  "   रामू  घर  आया  और  अपनी  माँ  से  कहने  लगा --- माँ , कल  स्कूल  ले  जाने  के  लिए  तुम  भी  मुझे  कुछ  दो , गुरु जी  ने  कहा  है  l  सब  बच्चे  कुछ न  कुछ  लायेंगे  , इसलिए  मैं  खाली  हाथ   जाऊं  तो  अच्छा  नहीं  लगेगा  l  माँ , बेचारी  बहुत  गरीब  थी  , दो  वक्त  का  भोजन  तो  मुश्किल  था , उपहार  कहाँ  से  लाती  l  उसने  कहा --- "  बेटा , कल  गोपाल  भैया  से  कुछ  मांग  लेना , वो  किसी  को  मना  नहीं  करते  l "  जंगल  आने  पर  रामू  ने  पुकारा --- " गोपाल भैया  जल्दी  आओ  l " भगवान  कृष्ण  ग्वाले  के  वेश  में  आए , उनके  हाथ  में  छोटी  सी  मटकी  थी  l  उन्होंने  कहा -- ' मुझे  मालूम  था  कि  तुम्हारे  स्कूल  में  उत्सव  है   इसलिए  यह  दही  की  छोटी सी  मटकी  तुम  उपहार  में  ले  जाओ  l  "  रामू  बहुत  खुश  , बहुत  खुश  !  स्कूल  पहुंचा  ,  सब  बच्चे  बड़े -बड़े  उपहार  लाए  थे  , गुरु जी  ने  रामू  की  छोटी  सी  मटकी  को  देखा  तो  उपेक्षा  से  कहा --- 'जा  उस  कोने  में  रख  दे  l '  संयोगवश  खाना  खाते  समय  दही  समाप्त  हो  गया  l  गुरु जी  को  मटकी  की  याद  आई  l  मटकी  से  दही  निकला  तो  मटकी  खाली  नहीं  हुई  ,  जितने  भी  बरतन  वहां  थे  ,सब  भर  गए  लेकिन  मटकी  खाली  नहीं  हुई  l  इस  चमत्कार  से  सब  आश्चर्य चकित  थे  l  गुरूजी  ने  रामू  से  पूछा --- " यह  मटकी  कहाँ  से  लाए  हो  ?   "  रामू  ने  गर्व  से  कहा न--- " मेरे  गोपाल  भैया  ने  दी  है , मैं  डरता  हूँ   , इसलिए  वे  जंगल  में  मेरे  साथ  चलते  हैं  l  "  गुरु जी  ने  कहा --- " तू  मुझे  गोपाल  भैया  के  दर्शन  करा  दे  l  "  वे  रामू  के  साथ  चले  ,   रामू  ने  पुकारा  ,   गोपाल  भैया  आए   लेकिन  गुरु जी  को  वे  दिखाई  नहीं  दिए  l  रामू  कहता  रहा  --'देखिए , ये  हैं  मेरे  गोपाल  भैया  ,  लेकिन  गुरु जी  को   दर्शन  नहीं  हुए   l  रामू  के  पूछने  पर  भगवान  ने  कहा --- इनका  मन  तुम्हारे  जैसा  निर्मल  नहीं  है  l