भारत धन - धान्य और स्वर्ण से भरा पूरा देश है , इस तथ्य से परिचित हो यहाँ की सुख - समृद्धि पर डाका डालने के लिए क्रमशः यूनानी , शक , हूण, कुषाण , पर्शियन , मुसलमान और अंग्रेज आये । सदियों तक भारत माँ के लाड़ले सपूत अपने देश की , अपने धर्म की , अपनी संस्कृति और जातीय स्वाभिमान की रक्षा के लिए इन स्वार्थी बर्बरों से लोहा लेते रहे l
जहाँगीर के शासन काल में डॉक्टर सर टामस रो भारत आये थे । उन्होंने जहाँगीर की पुत्री का इलाज किया , वह स्वस्थ हो गई । जहाँगीर ने डॉक्टर से कहा ------ ' मुँह माँगा इनाम मांग लो । '
सर टामस रो चाहते तो अपने लिए कोई बड़ी सी जागीर , ओहदा या लाख करोड़ की सम्पति मांग सकते थे और अपनी पीढ़ी - दर - पीढ़ी के लिए शाही वैभव प्राप्त कर सकते थे , पर उन्होंने ऐसा नहीं किया । सर टामस रो ने जहाँगीर से माँगा कि --- " मेरे देश से आने वाले माल पर आपके राज्य में चुंगी न ली जाये । " उसे मुँह मांगी मुराद मिल गई ।
सर टामस रो को व्यक्तिगत द्रष्टि से कुछ नहीं मिला , पर उनका देश , इंग्लैंड मालामाल हो गया । जिस देश के नागरिकों में सर टामस रो जैसी देश भक्ति हो उसी देश को , उसी जाति को उन्नति का गौरव प्राप्त होता है । अंग्रेजों के इसी गुण ने थोड़े से दिनों में ही उन्हें विशाल साम्राज्य का स्वामी बना दिया और इसी गुण को खो देने के कारण , आपसी फूट, स्वार्थ , ऊँच - नीच और मतभेदों के कारण भारत को दीनता , दासता एवं बर्बरता की यातनाएं सहनी पड़ीं ।
जहाँगीर के शासन काल में डॉक्टर सर टामस रो भारत आये थे । उन्होंने जहाँगीर की पुत्री का इलाज किया , वह स्वस्थ हो गई । जहाँगीर ने डॉक्टर से कहा ------ ' मुँह माँगा इनाम मांग लो । '
सर टामस रो चाहते तो अपने लिए कोई बड़ी सी जागीर , ओहदा या लाख करोड़ की सम्पति मांग सकते थे और अपनी पीढ़ी - दर - पीढ़ी के लिए शाही वैभव प्राप्त कर सकते थे , पर उन्होंने ऐसा नहीं किया । सर टामस रो ने जहाँगीर से माँगा कि --- " मेरे देश से आने वाले माल पर आपके राज्य में चुंगी न ली जाये । " उसे मुँह मांगी मुराद मिल गई ।
सर टामस रो को व्यक्तिगत द्रष्टि से कुछ नहीं मिला , पर उनका देश , इंग्लैंड मालामाल हो गया । जिस देश के नागरिकों में सर टामस रो जैसी देश भक्ति हो उसी देश को , उसी जाति को उन्नति का गौरव प्राप्त होता है । अंग्रेजों के इसी गुण ने थोड़े से दिनों में ही उन्हें विशाल साम्राज्य का स्वामी बना दिया और इसी गुण को खो देने के कारण , आपसी फूट, स्वार्थ , ऊँच - नीच और मतभेदों के कारण भारत को दीनता , दासता एवं बर्बरता की यातनाएं सहनी पड़ीं ।