17 April 2018

WISDOM ---- सदियों की पराधीनता ने लोगों का मनोबल तोड़ दिया है और टूटा हुआ मनोबल मनुष्य को पंगु बना देता है

    जब  देश  गुलाम  था  तब   अंग्रेज  अपनी  हुकूमत  के  लिए  गाँव  के  लोगों  पर  ,  अपना   विरोध  करने  वालों  पर  हंटर  और  कोड़े  बरसाते  थे   l   वक्त  के  साथ  चेहरे  बदल  गए  ,  लेकिन   अपनी  हुकूमत  के  लिए    निर्दोष  पर   कोड़े , हंटर  और  डंडे  बरसाना  नहीं  बदला   l 
  समाज  में  जब   अनाचार  और  अत्याचार  के  विरोध  की  क्षमता  और  सामर्थ्य  नहीं  रहती   तो  अत्याचारी  के  दुस्साहसी  होने  की  संभावना   बनती  है   l  उन  लोगों  के  प्रति  उदासीनता   उनके  प्रोत्साहन  की  प्रेरणा  बन  जाती  है   और  अनाचार  का  कुचक्र    दूनी  गति  से  घूमने  लगता  है   l  
   अहंकारी   की  मानसिकता  कमजोर  पर  अत्याचार  कर   अपने  अहंकार  की  पूर्ति  करने  की  होती  है  ,  उसका  किसी  देश , धर्म  या  जाति  से  ताल्लुक  नहीं   होता   l  ऐसे  लोगों  का  केवल  एक  ही  उद्देश्य  होता  है   कि  जब - तब  अपनी  निर्दयी  हरकतों  से  जनता  को  भयभीत  किया  जाये ,   विभिन्न  तरीकों  से  उन्हें  कमजोर  कर  दिया  जाये   ताकि  वे  अन्याय  के  विरुद्ध  खड़े  न  हो  सकें  l 
  इन  परिस्थितियों  में  ऐसे  जागरूक ,  संघर्षशील   और  आत्मशक्ति  संपन्न   व्यक्तियों  की  आवश्यकता  होती  है   जो  अत्याचार  और  अन्याय  का  विरोध  करने  के  लिए  उठ  खड़े  हों   और  समाज  को  उसके  दुस्साहस  का  सामना  करने  के  लिए   खड़ा  करें  l
  लोग  ऐसे  अत्याचारियों  के    भय  से   उदासीन  नहीं  रहते   बल्कि    अपने  छोटे - बड़े  स्वार्थ ,   अपनी  कमजोरियों   के  कारण  वे  चुप  रहते  हैं  l  अत्याचारी  के  प्रति  तटस्थ  रहने  का  सबसे  बड़ा  कारण  यह  है  कि  आज  लोग  दोगले  हैं    उनका  असली    भय  यह  है  कि  उनके  ऊपर  चढ़ा  हुआ  शराफत  का  नकाब  न  उतर  जाये  l  बेनकाब  होंगे   तो  जनता  असलियत  जान  जाएगी  l 
  जब  जनता  जागरूक  और  स्वाभिमानी  होगी   तभी  विवेकपूर्ण  ढंग  से  आततायी  का  सामना  कर  सकेगी   l