एक जिज्ञासु ने एक विद्वान् से पूछा ------ इस संसार में अब तक इतने महात्मा , साधु -संत और अवतार हो चुके हैं , सबने इस दुनिया को भला बनाने का प्रयास किया , पर किसी के प्रयत्नों का कोई फल नहीं हुआ l संसार जैसे का तैसा पापपूर्ण अभी भी बना हुआ है , इसमें सदा ही बुराइयों की भरमार रहती है l ' जिज्ञासु ने उस व्यक्ति को एक कहानी सुनाई ---- एक गरीब आदमी ने किसी तरह भूत को अपने वश में करने की सिद्धि प्राप्त कर ली l भूत सामने आ गया और बोला ---- महोदय ! मुझसे जो चाहे काम करा लो लेकिन मैं ठाली न बैठूँगा , जब ठाली रहूँगा तो आप पर ही पिल पडूंगा l " अब गरीब आदमी ने उससे महल , नौकर , खजाना , सभी सुख सुविधाएँ एक -एक कर के जुटा लीं l हर कार्य तुरंत कर के उसके सामने खड़ा हो जाता की अब और काम बताओ l वह व्यक्ति परेशान हो गया l एक तांत्रिक की सलाह पर उसने भूत को कुत्ते की पूंछ सीधी करने का काम सौंप दिया l अब भूत जितनी बार भी उस पूंछ को सीधी करता वह फिर टेढ़ी हो जाती l इस तरह उसे उस भूत से छुटकारा मिला l यह कथा सुनाकर विद्वान् ने जिज्ञासु से कहा ---- हमारा मन भी एक प्रकार का भूत है जो हर समय संसार के सुखों के पीछे भागता रहता है l परमात्मा ने संसार में इतनी बुराइयाँ इसलिए छोड़ रखी हैं कि मनुष्य अपने मन को कुत्ते की पूंछ को सीधा करने यानि इन बुराइयों को दूर करने में लगाये l ये बुराइयाँ आत्मउद्धार का अभ्यास करने के लिए हैं l निरंतर अभ्यास कर के मनुष्य अपने मन पर नियंत्रण कर अपने विकारों को दूर कर सकता और अपनी चेतना को परिष्कृत कर सकता है l
29 October 2023
WISDOM -----
लघु कथा ---- नि :शस्त्रीकरण ------ एक चिड़ियाघर के जानवरों ने इकट्ठे होकर विचार किया कि नि:शस्त्रीकरण की नीति पर चलना चाहिए l गेंडे ने कहा --- दांत और पंजे सबसे अधिक खतरनाक होते हैं , उन पर प्रतिबन्ध लगाया जाये , सींग तो केवल रक्षा का साधन मात्र है l " भैंसा और हिरन से लेकर कांटो वाली सेई तक ने गेंडे की बात का समर्थन किया l शेर ने दांतों और पंजे को खाने और चलने का साधारण साधन बताते हुए कहा --- " सींग ही निरर्थक वस्तु है , सर्व सम्मति से सींग का प्रयोग ही निषिद्ध करा जाए l " बाघ , चीता और सियार से लेकर वन बिलाव ने इस तर्क की प्रशंसा की l रीछ की बारी आई , तो उसने कहा ---- " सींग और दांत , पंजे यह सभी हानिकारक हैं l जरुरत पड़ने पर आलिंगन करने के मित्रतापूर्ण ढंग पर छूट रखी जानी चाहिए l " जो लोग रीछ की आदत को जानते थे , वे उसकी चालाकी ताड़ गए और मन ही मन बहुत कुढ़े l अपने पक्ष का समर्थन और प्रतिपक्षी का विरोध करने के जोश में बहुत शोर मचने लगा , एक दूसरे पर गुर्राने लगे , यहाँ तक कि टूट पड़ने की बात सोचने लगे l चिड़ियाघर के मालिक ने जब यह शोर सुना तो उसने उन सबको अपने -अपने बाड़े में खदेड़ दिया और कहा ---- " मूर्खों ! तुम भलमनसाहत से अपनी -अपनी मर्यादाओं का पालन करो , तो बिना नि:शस्त्रीकरण के भी काम चल सकता है , सब जानवर शांति से रह सकते हैं l लेकिन तुम में जो शक्तिशाली है वह भी अपने हथियार को सुरक्षित रखकर दूसरे पर प्रतिबन्ध लगाकर उसे अपने आधीन करना चाहता है l l " क्रोध में मालिक ने बाड़े का दरवाजा बंद कर दिया l