लार्ड रसेल विश्व को एक कुटुम्ब के रूप में देखना चाहते थे l मानव - मानव के बीच धर्म , जाति, सम्प्रदाय और राष्ट्र की जो ऊँची - ऊँची दीवारें खड़ी हैं , उन्हें तोड़ने के लिए वे प्रयत्नशील थे l उनका विश्वास था कि यदि मनुष्य सुख - शांति से रहना चाहता है तो उसे भेद की इन रेखाओं को मिटाना होगा l उनके शांति -प्रयत्नों का सब जगह स्वागत किया गया और उन्हें विभिन्न पुरस्कारों से विभूषित किया गया l
चंद्रतल को अपने पैरों से रौंदने वाले मानव को वह अंत तक यही सन्देश देते रहे कि भूतल पर हाथ में हाथ मिलकर प्रेम से चलने का भी अब प्रत्येक व्यक्ति को प्रयत्न करना ही चाहिए l भेदभाव की जो रेखाएं जमीन पर कहीं अंकित दिखाई नहीं देतीं , उन्हें वह व्यक्ति के मन से भी मिटाना चाहते थे और यही प्रयत्न वह अंत तक करते रहे l
चंद्रतल को अपने पैरों से रौंदने वाले मानव को वह अंत तक यही सन्देश देते रहे कि भूतल पर हाथ में हाथ मिलकर प्रेम से चलने का भी अब प्रत्येक व्यक्ति को प्रयत्न करना ही चाहिए l भेदभाव की जो रेखाएं जमीन पर कहीं अंकित दिखाई नहीं देतीं , उन्हें वह व्यक्ति के मन से भी मिटाना चाहते थे और यही प्रयत्न वह अंत तक करते रहे l