'जो जैसा सोचता है और करता है वह वैसा ही बन जाता है | '
मानवी मस्तिष्क से उत्पन्न होने वाली विद्दुत सम्पूर्ण शरीर का कार्य संचालित करती है | अवचेतन मस्तिष्क से संबंधित असंख्य तार शरीर के प्रत्येक घटक तक पहुँचते हैं और इसकी सुव्यवस्था बनाये रखते हैं | रोग निवारण के लिये शरीर के साथ मन का उपचार भी अति आवश्यक है | ईर्ष्या ,द्वेष ,असंयम बरतने पर मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और एक विशिष्ट प्रकार के हारमोंस का स्राव होने लगता है जो रोगों की उत्पति का कारण बन जाता है |
शरीर को स्वस्थ रखने के लिये मानसिक स्तर की स्वस्थता अति आवश्यक है | रोगियों के चिंतन में यदि 'सकारात्मक सोच 'का प्रादुर्भाव कर दिया जाये तो बड़े ही चमत्कारी परिणाम उत्पन्न होते हैं | श्रेष्ठ ,पवित्र विचार शरीर की जैविक रासायनिक प्रक्रियाओं को सक्रिय बनाते हैं ,इससे शरीर में कई तरह के रासायनिक स्राव उत्पन्न होते हैं जो मानवी स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं
मानवी मस्तिष्क से उत्पन्न होने वाली विद्दुत सम्पूर्ण शरीर का कार्य संचालित करती है | अवचेतन मस्तिष्क से संबंधित असंख्य तार शरीर के प्रत्येक घटक तक पहुँचते हैं और इसकी सुव्यवस्था बनाये रखते हैं | रोग निवारण के लिये शरीर के साथ मन का उपचार भी अति आवश्यक है | ईर्ष्या ,द्वेष ,असंयम बरतने पर मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और एक विशिष्ट प्रकार के हारमोंस का स्राव होने लगता है जो रोगों की उत्पति का कारण बन जाता है |
शरीर को स्वस्थ रखने के लिये मानसिक स्तर की स्वस्थता अति आवश्यक है | रोगियों के चिंतन में यदि 'सकारात्मक सोच 'का प्रादुर्भाव कर दिया जाये तो बड़े ही चमत्कारी परिणाम उत्पन्न होते हैं | श्रेष्ठ ,पवित्र विचार शरीर की जैविक रासायनिक प्रक्रियाओं को सक्रिय बनाते हैं ,इससे शरीर में कई तरह के रासायनिक स्राव उत्पन्न होते हैं जो मानवी स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं