27 December 2019

WISDOM -------

       महर्षि  व्यास  ने    महाभारत    जैसे  महाकाव्य  की  रचना  के  बाद  यह  अनुभव  किया  कि   यह  पर्याप्त  नहीं  है  l   ज्ञान , विज्ञान   तो  रावण  और  कंस   आदि  राक्षसों  के  पास  भी  था  ,  किन्तु  उनमे  संवेदना ,  आदर्श  परायणता  का  अभाव   होने  से   वह  लाभ  की  जगह  हानिकारक  सिद्ध  हुआ   l  इसलिए  श्री  व्यासदेव  ने   भागवत   की  रचना  की  l    श्रीकृष्ण  कथा   को  ' श्रीमद् भागवत  कथा  '    भी  कहा  जाता  है  l   श्रीकृष्ण  की  विभिन्न  लीलाओं  को  कथा  के  माध्यम  से  बताया   जिससे  लोग  ईश्वर  के  आदर्श  रूप  को  समझें    और  उसको  अपना  कर  अपने  जीवन  को  सफल  बनायें  l 
   कथा  में  बताया  गया  है  कि -----  संसार  में  धर्म  और  अधर्म   दोनों  रहते  हैं  l   कुछ  व्यक्ति  जो  अधर्म   से  ग्रस्त  हो  जाते  हैं   तो  उनके  कारण   संसार  में  दुःख   और  कष्ट  बढ़ते  हैं   l   ऐसे  ही  व्यक्तियों  को   राक्षस ,  दैत्य  और  नर - पिशाच  कहा  जाता  है   l   असुरता  आकृति  पर  नहीं  प्रकृति  पर  आधारित  है   l   निरपराध   लोगों  को  सताना   असुरता  की  पहचान  है    और  असुरता  की  वृद्धि  से  सामूहिक  चेतना  में  व्याकुलता  बढ़  जाती  है  l   भगवान   कृष्ण  के  जन्म  से  पूर्व   असुरता  बहुत  बढ़  गई  थी ,  इसे  समाप्त   करने   के  लिए  भगवान   ने  जन्म  लिया   l   धर्म  के   नाश  और  अधरम  की  वृद्धि  होने  से  सृष्टि  का  संतुलन  बिगड़ता  है    तब   भगवान   जन्म  लेकर    इस  असंतुलन  को  दूर  करते  हैं  और  धर्म  की    होती  है   l