कलियुग की सबसे बड़ी विशेषता है --- दुर्बुद्धि ! इस दुर्बुद्धि के कारण लोग समाज में जो भी अच्छे कार्य होते हैं , उनमे बुराई खोजते हैं , देवत्व को मिटाने का प्रयास करते हैं और बुराइयों को अनदेखा करते हैं , भीष्म पितामह की तरह चुप्पी साध लेते हैं इसलिए अब प्रत्यक्ष में महाभारत नहीं होती , अब प्रकृति का क्रोध विभिन्न रूपों में देखने को मिलता है l आज मनुष्य पर लालच , अहंकार , कामना , महत्वाकांक्षा हावी है इस कारण वह दोहरी जिन्दगी जी रहा है l एक रूप में समाज के सामने बहुत शरीफ , सदाचारी है लेकिन एक दूसरा रूप भी है जिसमे वह अपने स्वार्थ के लिए अपराध , भ्रष्टाचार , अश्लीलता , प्रदूषण आदि समाज और संस्कृति को हानि पहुँचाने वाले कार्यों के प्रति मौन रहकर उन्हें बढ़ावा देता है l यही कारण है कि अब मनुष्य का मनुष्य पर से विश्वास कम हो गया है l ----- एक डाकू था वह फकीरों के वेश में डाके डालता था l अपना हिस्सा वह गरीबों में बाँट देता था l हाथ में माला लिए जपता रहता था l एक बार उसके दल ने एक काफिला लूटा l एक व्यापारी के पास बहुत पैसा था l लूट चल रही थी , उसने फकीर को देखा तो सारा धन उसके पास लाकर रख दिया l काफिला लुट जाने के बाद जब वह धन लेने पहुंचा तो देखा कि वहां तो लूट का माल बांटा जा रहा है l सरदार वही था जो दरवेश -फकीर बना हुआ था l उसी के पास व्यापारी का धन था l व्यापारी बोला --- " हमने तो आपको दरवेश समझा था l आप तो कुछ और ही निकले l हमने डाकुओं के सरदार पर नहीं , फकीर पर , खुदा के बन्दे पर विश्वास किया था l अब यह धन आप रखिए , आपसे एक गुजारिश है कि आप दरवेश के वेश में मत लूटिए l नहीं तो लोगों का विश्वास इस वेश पर से उठ जायेगा l वह डाकू तत्काल वास्तव में फकीर बन गया , उसके बाद उसने कभी डाका नहीं डाला l