1 January 2020

WISDOM ----- कर्मफल सिद्धांत

    महाभारत  के  युद्ध  में   सात  महारथियों  ने  मिलकर  बालक  अभिमन्यु  का  वध  कर  डाला  l   अभिमन्यु  श्रीकृष्ण  की  बहन  सुभद्रा-अर्जुन    का  पुत्र  था  l  उस  दिन   कौरवों  के  ललकारने  पर  भगवान   कृष्ण  व  अर्जुन  संशप्तकों  से  युद्ध  करने  गए  हुए  थे   l   उनके  वापिस  लौटने  पर  सुभद्रा  ने   कृष्ण  से  कहा --- तुम  तो  स्वयं  भगवान   हो  ,  तुम्हारे  रहते  हुए   भी  तुम्हारे  प्राणों  से  भी  प्रिय  भानजे   की  मृत्यु  हो  गई   और  तुम  उसे  न  रोक  सके  l '
 भगवान   कृष्ण  ने  कहा ---- ' मैं  भगवान   अवश्य  हूँ   किन्तु  मैं   कर्मफल  व्यवस्था  में  किसी  प्रकार  का  हस्तक्षेप  नहीं  कर  सकता   l   जब  छोटे - छोटे  राज्य  भी  बिना  विधि - व्यवस्था  के  नहीं  चल  सकते   तब  इतना  विशाल  ब्रह्माण्ड  बिना  नियम  व  अनुशासन  के  कैसे  चल  सकता  है  l 
 गोस्वामी  तुलसीदास जी  ने  विनय पत्रिका  में  कहा  है --- ' जिन्ह  बांधिस   असुर  नाग  मुनि  प्रबल  कर्म  की  डोरी '  l   कर्मफल  व्यवस्था  इतनी  अकाट्य  है  कि   स्वयं  भगवान   भी  इसका  सम्मान  करते  हैं  l 
  मनुष्य   अपने  क्षुद्र  अहं   को  संतुष्ट  करने  के  लिए   तथा  तत्काल  लाभ  पाने  की  दृष्टि  से  दूसरों  को  पीड़ा  पहुंचा  कर   सुख - शांति  पाना  चाहता  है  l   क्या  ऐसा  संभव  है  ?  बबूल   बीज  बोकर  आम  पाने  की  इच्छा  व्यर्थ  है   l   जब  तक  व्यक्ति  को  उसके  पापों  का  परिणाम  प्राप्त  नहीं  होता  तब  तक  वह  बहुत  खुश  रहता  है  l   अपने  जैसा  सफल  व्यक्ति  किसी  को  भी  नहीं  समझता   l   किन्तु  कहते  हैं ---' भगवान   के  घर  देर  है , अंधेर  नहीं   l '
  जब  व्यक्ति  को  उसके  दुष्कर्मों  का  दंड  मिलता  है  तब  वह  बहुत  खीजता  है  ,  दूसरों  पर  दोषारोपण  कर  स्वयं  को  निर्दोष  बताने  का  प्रयास  करता  है   l   महाभारत  के  युद्ध  में   जब  सभी  कौरवों  का  अंत  हो  गया   और  भीम  की  गदा  से  घायल  दुर्योधन  जमीन   पर  पड़ा  था  ,  वह  धर्म  की  दुहाई  दे  रहा  था  और  पांडवों  व  कृष्ण  पर   आक्षेप  लगा  रहा  था  ,  तब  उसके  आक्षेपों  का  उत्तर  देते  हुए  भगवान   कृष्ण  ने  कहा ---  दुर्योधन  ! तुम्हारी  ही  प्रेरणा  से  बहुत  से  योद्धाओं  ने  मिलकर  युद्ध स्थल  में  अकेले  बालक  अभिमन्यु  का  वध  किया  था  ,  इन्ही  सब  कारणों   से  आज  तुम  भी  रणभूमि   में  पड़े  हो  l  '