29 November 2017

WISDOM

 एक  संत  के  त्याग  से  प्रभावित  होकर  एक  राजा  ने  भी   उनसे   गुरुदीक्षा   ली  l  पहले  भी   हजारों  लोग  उनसे  दीक्षा  ले  चुके  थे  l  उन्होंने  राजा  को  भी  दीक्षित  देखा  तो  सबने  जाकर  कहा ----- महाराज  !  अब  तो   आप  हमारे  गुरुभाई  हैं  , अब  हमसे  राज्य - कर  नहीं  माँगना  l  राजा  ने  दुविधावश  सबका  कर  माफ  कर  दिया  l परिणाम  यह  निकला  कि   राज्य - व्यवस्था  के  लिए  पैसा  मिलना  बंद  हो  गया ,  सारी  व्यवस्था  नष्ट - भ्रष्ट  हो  गई  l  यह  देखकर   संत  ने  राजा  को  बुलाया  और  कहा ----- " राजन  ! धर्म  की  सार्थकता  कर्म  से  है  l  आलसी  लोग  दीक्षा  भी  ले  लें  तो  क्या  !  इनमे  मेरा  एक  भी  शिष्य  नहीं  है   l "
  राजा  ने  भूल  समझी   और  टैक्स  लगा  दिया  ,  तब  कहीं  बिगड़ती  शासन व्यवस्था  संभली  l