30 October 2018

WISDOM ----- सन्मार्ग मिलने पर दुराचारी का भी कल्याण होता है

   एक  डाकू  फकीरों  ,  दरवेशों  के  वेश  में  डाके  डालता  था  l  अपना  हिस्सा  वह  गरीबों  में  बाँट  देता  था  l  हाथ  में  माला  लिए  जपता  रहता  l  एक  बार  उसके  दल  ने  काफिला  लूटा  l  एक  व्यापारी के  हाथ  में  ढेर  सारा  रुपया - पैसा  था  l  लूट  चल  रही  थी  l  उसने  फकीर  को  देखा   तो  उसके  पास सारा  धन  लाकर  रख  दिया   l  काफिला  लुट  जाने  के  बाद  वह  धन  लेने  पहुंचा  तो  देखा  कि  वहां  तो  लूट  का  माल  बांटा  जा  रहा  है  ,  सरदार  वाही  था ,  जो  दरवेश  बना  हुआ  था  l   व्यापारी  बोला ---- " हमने  तो  आपको  दरवेश  समझा  था  l  आप तो  कुछ  और  ही  निकले   l  हमने  डाकुओं  के  सरदार  पर  नहीं  ,  फकीर  पर ,  खुदा के  बन्दे  पर  विश्वास  किया  था  l  आदमी  का  भरोसा  साधु , फकीर  पर  से  उठना    नहीं  चाहिए   l  यह  धन  आप  रखिये  ,  पर  आपसे  एक   विनती  है  कि  आप  दरवेश  के  वेश  में  मत   लूटिये  l  नहीं  तो  लोगों  का  विश्वास  ही   इस  वेश  पर  से  उठ  जायेगा  l   वह  डाकू  तत्काल  ही  वास्तव  में  फ़क़ीर  बन  गया   l  उसके  बाद  उसने  कभी  डाका  नहीं  डाला   l