गुलामी भी कई प्रकार की होती है और गुलामी से मुक्ति तभी संभव है जब हम जागरूक हों , हमारा विवेक जाग्रत हो l कम - से -कम हमें यह एहसास तो हो कि हम गुलाम हैं l हम युगों तक गुलाम रहे l राजनैतिक गुलामी तो स्पष्ट है l जमीदारों , सामंतों के अत्याचार , सामाजिक कुप्रथाएं , जाति और धर्म के नाम पर अत्याचार , ये सब यंत्रणाएँ किसी गुलामी से कम नहीं थीं l जैसे - जैसे हम जागरूक हो रहे हैं वैसे - वैसे हमें ऐसी गुलामी से मुक्ति मिल रही है l अभी तक ये जो विभिन्न प्रकार की गुलामी थी इसमें स्पष्ट था कि अत्याचार करने वाला और उसे सहन करने वाला कौन है l इस कारण अत्याचार करने वालों को इतिहास में सम्मान नहीं मिला l इन सबसे बढ़कर मनुष्य अपने मानसिक विकारों --- काम , क्रोध , लोभ , मोह का , स्वार्थ , अहंकार , महत्वकांकक्षा जैसी दुष्प्रवृतियों का गुलाम है l अपने से कमजोर को सताना , शोषण और अत्याचार करना -- यह भी एक नशा है इससे शक्तिशाली का अहंकार तृप्त होता है l सभ्यता के विकास के साथ - साथ विभिन्न कार्यों के तरीके रिफाइंड होते है l एक लघु कथा है ----- एक राजा था , अपार धन - सम्पदा थी उसके पास l उसके मंत्रियों ने सलाह दी , इतनी शक्ति है दूसरे राज्यों पर अधिकार कर लो , l राजा समझदार था , उसने कहा , बेजान भूमि को जीतने से क्या होगा , हम वहां के लोगों के सामाजिक और उनके व्यक्तिगत जीवन पर , यहाँ तक कि उनके मन पर अपना नियंत्रण चाहते हैं l वे हमारे हर आदेश का पालन करें , उनका उठना , बैठना , चलना - फिरना सब कुछ हमारी इच्छानुसार हो , उनमे विद्रोह की , सही -गलत समझने की शक्ति भी न रहे , यह देखकर ही हमें सुकून मिलेगा l इस कार्य के लिए दूर - दूर से विशेषज्ञ बुलाए गए l अनेक तरीकों से समाज के प्रबुद्ध और संपन्न लोगों पर अपना नियंत्रण किया , विशाल जनसँख्या को अपनी इच्छानुसार चलाना कठिन समस्या है , इसके लिए यह प्रयास किया कि अपनी बात का इतना प्रचार -प्रसार करो कि लोगों का ब्रेनवाश हो जाये , उनकी चेतना सुप्त हो जाये , जिससे हर आदेश को वे बिना किसी विरोध के स्वीकार करें l बिना किसी युद्ध , बिना किसी खून - खराबे के विशाल जनसँख्या को अपने अधीन करने का सुकून उसे मिला l --- इस कथा से हमें यही शिक्षा मिलती है कि हम अपने मन पर अपना नियंत्रण रखें , यदि हमारी कमजोरियों का फायदा उठाकर किसी दूसरे ने उस पर अपना नियंत्रण कर लिया तो हमारा जीवन अर्थहीन हो आएगा l