स्वार्थ के वशीभूत मनुष्य इतना लालची हो जाता है कि उसे घ्रणित दुष्कर्म करने में भी लज्जा नहीं आती l तृष्णा के वशीभूत होकर लोग अनीति का आचरण करते हैं और वह अनीति ही अंततः उनके पतन एवं सर्वनाश का कारण बनती है l
कोई कितना ही शक्तिशाली , बलवान क्यों न हो , स्वार्थपरता और दुष्टता का जीवन बिताने पर उसे नष्ट होना ही पड़ता है l
रावण के बराबर पंडित , वैज्ञानिक , कुशल प्रशासक , कूटनीतिज्ञ कोई भी नहीं था , लेकिन परस्त्री अपहरण , राक्षसी आचार - विचार एवं दुष्टता के कारण कुल सहित नष्ट हो गया l
कंस ने अपने राज्य में हा हाकार मचवा दिया l अपने बहन और बहनोई को जेल में बंद कर उनके नवजात शिशुओं को पटक - पटक कर मार डाला l उसके राज्य में छोटे - छोटे बालक भी सुरक्षित नहीं थे l लोगों में भय और आतंक का वातावरण पैदा किया अंत में वह भगवान कृष्ण द्वारा बड़ी दुर्गति से मार दिया गया l
हिरन्यकश्यप और हिरण्याक्ष जैसे बलवान योद्धाओं को आसुरी वृतियों के कारण नष्ट होना पड़ा l
दुर्योधन ने अपने भाइयों का हक़ छीना, उन्हें कभी सुख - चैन से रहने नहीं दिया l अंत में वह अपने शक्तिशाली भाइयों समेत मारा गया l
पुराणों में , इतिहास में ऐसी अनेकों गाथाएं भरी पड़ी हैं कि कैसे अत्याचारी , अन्यायी राजाओं , सम्राटों और आक्रमणकारियों का बुरा अंत हुआ l महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी अत्याचारी का अंत अकेले नहीं हुआ , जिसने भी उसका साथ दिया , वह उन सबको अपने साथ ले डूबा l
लोगों पर दुर्बुद्धि इस कदर हावी हो जाती है कि वे छोटे - छोटे लालच व स्वार्थ के लिए अत्याचारी का साथ देते हैं और अपने साथ अपने परिवार को भी संकट की स्थिति में डाल देते हैं l
कोई कितना ही शक्तिशाली , बलवान क्यों न हो , स्वार्थपरता और दुष्टता का जीवन बिताने पर उसे नष्ट होना ही पड़ता है l
रावण के बराबर पंडित , वैज्ञानिक , कुशल प्रशासक , कूटनीतिज्ञ कोई भी नहीं था , लेकिन परस्त्री अपहरण , राक्षसी आचार - विचार एवं दुष्टता के कारण कुल सहित नष्ट हो गया l
कंस ने अपने राज्य में हा हाकार मचवा दिया l अपने बहन और बहनोई को जेल में बंद कर उनके नवजात शिशुओं को पटक - पटक कर मार डाला l उसके राज्य में छोटे - छोटे बालक भी सुरक्षित नहीं थे l लोगों में भय और आतंक का वातावरण पैदा किया अंत में वह भगवान कृष्ण द्वारा बड़ी दुर्गति से मार दिया गया l
हिरन्यकश्यप और हिरण्याक्ष जैसे बलवान योद्धाओं को आसुरी वृतियों के कारण नष्ट होना पड़ा l
दुर्योधन ने अपने भाइयों का हक़ छीना, उन्हें कभी सुख - चैन से रहने नहीं दिया l अंत में वह अपने शक्तिशाली भाइयों समेत मारा गया l
पुराणों में , इतिहास में ऐसी अनेकों गाथाएं भरी पड़ी हैं कि कैसे अत्याचारी , अन्यायी राजाओं , सम्राटों और आक्रमणकारियों का बुरा अंत हुआ l महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी अत्याचारी का अंत अकेले नहीं हुआ , जिसने भी उसका साथ दिया , वह उन सबको अपने साथ ले डूबा l
लोगों पर दुर्बुद्धि इस कदर हावी हो जाती है कि वे छोटे - छोटे लालच व स्वार्थ के लिए अत्याचारी का साथ देते हैं और अपने साथ अपने परिवार को भी संकट की स्थिति में डाल देते हैं l