1 August 2019

WISDOM -----

 स्वार्थ  के  वशीभूत  मनुष्य  इतना  लालची  हो  जाता  है  कि  उसे  घ्रणित  दुष्कर्म  करने  में  भी  लज्जा  नहीं  आती   l  तृष्णा  के  वशीभूत  होकर  लोग  अनीति  का  आचरण  करते  हैं  और  वह  अनीति  ही  अंततः  उनके  पतन  एवं  सर्वनाश  का  कारण  बनती  है  l  
  कोई  कितना  ही  शक्तिशाली  , बलवान  क्यों  न  हो  ,  स्वार्थपरता  और  दुष्टता   का  जीवन बिताने  पर  उसे  नष्ट  होना  ही  पड़ता  है  l 
 रावण   के  बराबर  पंडित , वैज्ञानिक , कुशल  प्रशासक  , कूटनीतिज्ञ  कोई  भी  नहीं  था  , लेकिन  परस्त्री  अपहरण , राक्षसी  आचार - विचार एवं  दुष्टता  के  कारण  कुल  सहित  नष्ट  हो  गया  l 
  कंस  ने  अपने  राज्य  में  हा हाकार  मचवा  दिया  l  अपने  बहन  और  बहनोई  को  जेल  में  बंद  कर  उनके  नवजात  शिशुओं  को  पटक - पटक  कर  मार  डाला  l  उसके  राज्य  में  छोटे - छोटे  बालक  भी  सुरक्षित  नहीं  थे  l  लोगों  में  भय  और  आतंक  का  वातावरण  पैदा  किया   अंत  में  वह  भगवान  कृष्ण द्वारा  बड़ी  दुर्गति  से  मार  दिया  गया  l  
   हिरन्यकश्यप  और  हिरण्याक्ष  जैसे  बलवान  योद्धाओं  को  आसुरी  वृतियों  के  कारण    नष्ट  होना  पड़ा  l
 दुर्योधन  ने  अपने  भाइयों  का  हक़  छीना,  उन्हें  कभी  सुख - चैन  से  रहने  नहीं  दिया  l  अंत  में  वह  अपने  शक्तिशाली  भाइयों  समेत  मारा  गया  l 
 पुराणों  में , इतिहास  में  ऐसी  अनेकों  गाथाएं  भरी  पड़ी  हैं  कि  कैसे  अत्याचारी , अन्यायी  राजाओं , सम्राटों   और  आक्रमणकारियों  का  बुरा  अंत  हुआ  l  महत्वपूर्ण बात  यह  है  कि  किसी  भी  अत्याचारी  का  अंत  अकेले  नहीं  हुआ  ,  जिसने  भी  उसका  साथ  दिया  , वह  उन  सबको  अपने  साथ  ले  डूबा  l  
 लोगों  पर  दुर्बुद्धि   इस  कदर  हावी  हो  जाती  है  कि  वे  छोटे - छोटे  लालच  व  स्वार्थ  के  लिए  अत्याचारी  का  साथ  देते  हैं  और  अपने  साथ  अपने  परिवार  को  भी  संकट  की  स्थिति  में  डाल  देते  हैं  l