25 December 2018

WISDOM ---- प्रतिभाशीलों को अपना जीवन बड़ी सावधानी से जीना चाहिए ---- श्रीमद्भगवद्गीता

    गीता में   भगवान  श्रीकृष्ण  कहते  हैं  --- " जैसा  आचरण  एक  श्रेष्ठ  पुरुष  का  होता  है  ,   अन्य    पुरुष  भी  वैसा  ही  आचरण  करते  हैं  l  वह  जैसा भी  कुछ   आदर्श   उपस्थित   करता  है   ,  लोग  उसी  का  अनुसरण  करते  हैं  l 
 जो  मनुष्य   विशिष्ट  श्रेणी  के  हैं  , उनका  आचरण  सारे  समाज  के  उत्थान - पतन  का  कारण बन  सकता  है  क्योंकि  अधिकांश  मनुष्य  अपनी  जीवनचर्या  के   लिए  भी  द्रष्टि   औरों  पर  डालते  हैं  l  आज  समाज  का   इतना  अधिक  नैतिक  पतन  हुआ  ही  इसलिए   है  कि  जनता  भ्रष्ट  आचरण   ही  चारों  ओर  देखती  है  ,  उसे  कहीं  कोई  मार्गदर्शक  तंत्र  दिखाई  ही  नहीं  पड़ता  है   l 
  गीता  में  भगवान  स्पष्ट  रूप से  कहते  हैं  कि  आम  जनता ,   नेता  लोग  जो  कहते  हैं   उसका  नहीं  ,  लेकिन  जो  कुछ  भी  करते  हैं  ,  उसी  का   अनुकरण  करती  है  l
 स्वयं  भगवान  श्रीकृष्ण   अपने  बारे  में  भी  यही  बात  कहते  हैं   कि ---   यद्दपि    संसार  में  उनके  लिए   प्राप्त  करने   को  कुछ  भी  नहीं  है  ,  उन्हें  सभी  कुछ  सुलभ  है   तो  भी  वे  अथक  रूप  से   निरंतर कार्य  करते  रहते  हैं  l  यदि  वे  प्रमाद  करेंगे    तो   अन्य   लोग  भी  उनका  अनुसरण  कर  अपना  जीवन  नष्ट  कर  बैठेंगे   l  भगवान्  कहते  हैं  कि  मैं  अवतार हूँ ,  मैं   जो   चाहूँ  वह  प्राप्त कर  सकता  हूँ  ,  फिर  भी  मैं  कर्म  करता  हूँ   l  वे  कहते  हैं  कि  यदि  मैं  सावधानीपूर्वक  हर  तरह  से  सोच - समझकर  कर्म  न  करूँ  तो   बड़ी  हानि  हो  जाएगी   क्योंकि  मनुष्य  सब  प्रकार  से  मेरे  ही  मार्ग  का  अनुसरण  करते  हैं   l