4 August 2022

WISDOM ------

   पं   श्रीराम  शर्मा   आचार्य जी   लिखते  हैं   --------  अन्याय   चाहे  कितना  ही  बड़ा  क्यों   न  हो  ,  उसका  प्रतिकार  करने  का   साहस  न  करना   अपने  मानवीय  कर्तव्यों  की   उपेक्षा  करना  है  l   अन्याय  का  अंधकार   चाहे  कितना  ही  सघन  क्यों  न  हो   ,    एक   आदर्शवादी    व्यक्ति  उसे  मिटाने   के  लिए   दीपक  की  तरह  जले   तो  प्रकाश  हो  कर  ही  रहेगा   l  '   ---------  पंख  कटे  जटायु  को   गोद  में  लेकर   भगवान  राम  ने  उसका  अभिषेक  आँसुओं  से  किया  ,  स्नेह  से  उसके  सिर  पर  हाथ   फेरते  हुए   भगवान  राम  ने  कहा  ----  " तात  !  तुम  जानते  थे   रावण  महाबलवान   है  ,  फिर  उससे  तुमने  युद्ध  क्यों  किया  ? "     जटायु  ने  गर्वोन्नत  वाणी  में  कहा  ----- " प्रभो  !  मुझे  मृत्यु  का  भय  नहीं  ,  भय  तो  तब  था    जब  अन्याय  के  प्रतिकार  की  शक्ति  नहीं  जागती   l  "  भगवान  राम  ने  कहा  ----- " तात  !  तुम  धन्य  हो  !  तुम्हारी  जैसी  संस्कारवान   आत्माओं  से    संसार  को   कल्याण  का  मार्गदर्शन  मिलेगा   l  "