13 December 2019

WISDOM ----- भारतीय संस्कृति देव संस्कृति है , इसमें सर्वोच्च जीवन मूल्य ही स्वीकार किये गए हैं l

         सितम्बर  1993 :  अखण्ड   ज्योति  में  प्रकाशित  एक  लेख  का  अंश   ------------ देव  संस्कृति  में  जब  संस्कृत  का  जन - सामान्य  में  प्रचार - प्रसार  था  ,  उस  समय  भारतवर्ष  में   सर्वाधिक  प्रतिष्ठा  ऐसे  लोगों  को  प्राप्त   होती  थी  जिनके  जीवन  में  त्याग , तपस्या , निस्पृहता , आदर्शवादिता , चरित्र  निष्ठा ,  लोकसेवी  वृत्ति  और  ईश्वर- निष्ठा   की  प्रधानता  होती  थी   l
  दार्शनिक  उदारता   और  आचरण  की  मर्यादा   इस  संस्कृति  के  मूलतत्व  हैं   l   चिंतन  की  जितनी  उदारता    इस  संस्कृति  का  अंग  रही  है  ,  वैसी  विश्व  में   कहीं  भी   देखी   सुनी  नहीं  गई   l   दार्शनिक  मत विभिन्नता  होने  पर   एक  दूसरे  के  विचारों  को  चुनौती  देने  की  परंपरा  रही  है   l   परन्तु  इसके  कारण   हिंसा    या  शरीर  बल  का  प्रयोग  कभी   नहीं  हुआ  l
  इसके  विपरीत  पश्चिमी  संस्कृति  में   दार्शनिक  मत  भिन्नता  प्रकट  करने  पर   मंसूर  से  लेकर  ईसा  तक  को  फाँसी   पर  चढ़ाना  पड़ा   l
  गैलीलियो  ने   ग्रह - गति   सम्बन्धी    सिद्धांत  का  प्रतिपादन  किया  तो  उन्हें  नास्तिक  कहा  गया  और  जान  गंवानी  पड़ी  l   जबकि  भारत  में  आर्य भट्ट   और  वराह  मिहिर  दोनों  भू - भ्रमण  सिद्धांत  के  बारे  में  परस्पर  विरोधी  विचार  रखते  हुए  भी    एक  दूसरे  को  महान  गणितज्ञ  मानते  रहे   और  जनता  दोनों  का  समान  रूप  से  आदर  करती  रही  l
  देव  संस्कृति  में    श्रेष्ठ  भाव  संवेदनाओं , उत्कृष्ट  चिंतन   और  आदर्श  कर्तव्य  पर   बल  दिया  गया  है   और  सभी  धर्म  ग्रंथों  में  सत्य , धर्म  और  श्रेयस  का  जयगान  है   l   यही  तथ्य  नर  से  नारायण  बनने  की  प्रेरणा  देते  हैं   l