' संसार में गुणों की ही पूजा होती है l सच्चा और स्थायी बड़प्पन उन्ही महापुरुषों को प्राप्त होता है जो दूसरों के लिए निष्काम भाव से परिश्रम और कष्ट सहन करते हैं l '
बहुत से लोग रानाडे को एक विद्वान समाज सुधारक और न्यायमूर्ति जज के रूप में ही जानते हैं l पर यह उनकी अनोखी प्रतिभा थी कि हाई कोर्ट के जज जैसे उच्च सरकारी पद पर काम करते हुए भी उन्होंने भारत के राजनीतिक क्षेत्र में अपना चिर स्मरणीय स्थान बना लिया l वे श्री तिलक और गोखले दोनों के राजनीतिक गुरु थे l लोकमान्य तिलक ने उनका स्वर्गवास होने पर अपने ' मराठा पत्र ' में श्रद्धांजलि देते हुए लिखा था ---- " श्री रानाडे के समान महापुरुष - रत्न की मृत्यु से भारत की जो हानि हुई है , उसका ठीक - ठीक अनुमान करना कठिन है l वे अद्वितीय वक्ता थे , श्रेष्ठ ग्रन्थकार थे , प्रभावशाली समाज सुधारक और प्रसिद्ध पंडित थे l उनकी राजनीतिक विवेचना महत्वपूर्ण हुआ करती थीं l वे पारदर्शी विद्वान और जनता से सच्ची सहानुभूति रखने वाले एक पवित्र देशभक्त थे l यदि वे अंग्रेज होते तो ब्रिटिश मंत्रिमंडल में एक बहुत ऊँचा पद प्राप्त कर लेते l उन्होंने अनेक जन कल्याणकारी संस्थाएं स्थापित कीं और अनेक राष्ट्रीय कार्यकर्ताओं को तैयार
किया l "
भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के इतिहास में ह्यूम साहब को कांग्रेस का जन्म दाता माना गया है , पर जानकार लोगों का कहना है कि उनको इसकी सर्वप्रथम प्रेरणा देने वाले रानाडे ही थे l ह्युम साहब भी रानाडे को ' गुरु महादेव ' कह कर पुकारते थे l
बहुत से लोग रानाडे को एक विद्वान समाज सुधारक और न्यायमूर्ति जज के रूप में ही जानते हैं l पर यह उनकी अनोखी प्रतिभा थी कि हाई कोर्ट के जज जैसे उच्च सरकारी पद पर काम करते हुए भी उन्होंने भारत के राजनीतिक क्षेत्र में अपना चिर स्मरणीय स्थान बना लिया l वे श्री तिलक और गोखले दोनों के राजनीतिक गुरु थे l लोकमान्य तिलक ने उनका स्वर्गवास होने पर अपने ' मराठा पत्र ' में श्रद्धांजलि देते हुए लिखा था ---- " श्री रानाडे के समान महापुरुष - रत्न की मृत्यु से भारत की जो हानि हुई है , उसका ठीक - ठीक अनुमान करना कठिन है l वे अद्वितीय वक्ता थे , श्रेष्ठ ग्रन्थकार थे , प्रभावशाली समाज सुधारक और प्रसिद्ध पंडित थे l उनकी राजनीतिक विवेचना महत्वपूर्ण हुआ करती थीं l वे पारदर्शी विद्वान और जनता से सच्ची सहानुभूति रखने वाले एक पवित्र देशभक्त थे l यदि वे अंग्रेज होते तो ब्रिटिश मंत्रिमंडल में एक बहुत ऊँचा पद प्राप्त कर लेते l उन्होंने अनेक जन कल्याणकारी संस्थाएं स्थापित कीं और अनेक राष्ट्रीय कार्यकर्ताओं को तैयार
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भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के इतिहास में ह्यूम साहब को कांग्रेस का जन्म दाता माना गया है , पर जानकार लोगों का कहना है कि उनको इसकी सर्वप्रथम प्रेरणा देने वाले रानाडे ही थे l ह्युम साहब भी रानाडे को ' गुरु महादेव ' कह कर पुकारते थे l