4 July 2021

WISDOM

  पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----- "  संसार    के  मनुष्य  किसी  सफल  मनोरथ   और  सौभाग्यशाली  व्यक्ति  के  बाहरी  रूप  को  देखकर   यह  अभिलाषा  तो  करते  हैं   कि   हम  भी  ऐसे  ही  बन  जाएँ  ,  पर  इस  बात  पर  बहुत  कम  ध्यान  देते  हैं   कि   इस  स्थिति  को   प्राप्त  करने   के  लिए   पहले   उन्होंने  त्याग ,  तपस्या ,  कष्ट सहन   , एकांतवास   आदि  का  जीवन  व्यतीत  कर  के   अपने  आचरण  को  सुदृढ़  बनाया  है  l   लोग  वृक्ष  के  पके  मधुर  फलों  को  देखते  हैं  ,  पर  इस  पर  विचार  नहीं  करते   कि   इसको  लगाने   और  वर्षों  तक  खाद - पानी   देकर  रक्षा  करने  में   कितना  परिश्रम  करना  पड़ा  है   l  "