25 July 2023

WISDOM -----

   वक्त  के  साथ   सब  कुछ  बदलता  जाता  है  , यदि   कोई  परिवर्तन  नहीं  हुआ  है  तो  वह  है  मनुष्य  की  मानसिकता   l  काम , क्रोध , लोभ , मोह , ईर्ष्या , द्वेष , महत्वाकांक्षा  --- ये  सब  बुराइयाँ  पहले  भी  मनुष्य  में  थीं  और  आज  भी  हैं  l  इनका  रूप  अब  और  भी  अधिक  विकृत  हो  गया  है  l   आज  स्थिति  ये  है  कि  मनुष्य  को  मनुष्य  से  ही  डर  लगने  लगा  है  l  धन -दौलत  को  इतना  अधिक  महत्त्व  देने  के  कारण  अब  रिश्तों  का  भी  महत्त्व  नहीं  रहा  l   कब  किस  पर  पशुता  हावी  हो  जाए  , कहा  नहीं  जा  सकता  l  व्यक्ति  के  भीतर  जो  बुराइयाँ  हैं   , वे  बड़ी  श्रंखलाबद्ध  तरीके  से  समाज  को  पतन  की  ओर  ले  जाती  हैं   जैसे  एक  व्यक्ति   का  स्वभाव षडयंत्र रचने  का  है , छल , कपट  उसके  स्वभाव  में  है   तो  वह  ऐसा  किसी  एक  के  साथ  नहीं  करता , वह  अनेक  लोगों  को  अपना  निशाना   बनाता  है  l  उसके  लिए   रिश्ते   , मित्रता  कोई  मायने  नहीं  रखती  l  लालची  व्यक्ति  बेईमानी  और  भ्रष्टाचार  को  बढाता  है  l  कामी  व्यक्ति  पूरे  समाज  को  पतन  के  गर्त  में  धकेल  देता  है  l    कामना , वासना  और  लोभ  की  दूषित  मानसिकता  का  परिणाम  ही  आज  की  फ़िल्में  हैं   जिनमे  अश्लीलता , अपराध  को  ऐसे  चित्रित  किया  जाता  है   कि   वह  लोगों  के  दिलो,-दिमाग  में  बैठ  जाती  है   l   भीतर  की  पशुता  को  उभारने  में  फिल्मों  का  बहुत  बड़ा  योगदान  है  l   ईश्वर  ने  मनुष्य  को  बुद्धि  दी  है  और  उसे   चयन  की  स्वतंत्रता  दी  है  l  यह  मनुष्य  को  ही  चयन  करना  है  कि  वह  पशु  बने  या  इनसान  बने  l    इस  बात  का  ध्यान  अवश्य  रखना  होगा  कि  यदि  वह  पशु  बनना  पसंद  करता  है   तो  वह  अपने  चारों  ओर  अपनी  ही  जैसी  प्रवृत्ति  के  लोगों  को  आकर्षित  करेगा  l  ऐसे  में  वह  स्वयं , उसका परिवार , उसके  अपने  कोई  भी  सुरक्षित  नहीं  रहेगा  l