20 July 2019

WISDOM ------ प्रेरणाप्रद द्रष्टान्त ----' गरीब की हाय '

 एक  राजा  ने  किसी  विद्वान्  से  जानना  चाहा  कि  ' गरीब  की  हाय ' क्या  है  , इससे  क्या  होता  है  ?
 विद्वान्  ने  इस  प्रश्न  का  उत्तर  देने  के  लिए  तीन  माह  का  समय  माँगा  l  उसने  राजा  से  कहा --- महाराज  ! इस  प्रश्न  का  उत्तर  मैं  आपको  किसी   जंगल  में  दूंगा l  अत:  आपको  500  सैनिक  साथ  लेकर  चलना  होगा  l "  राजा  को  तो  प्रश्न  का  उत्तर  जानना  था  अत:  मंत्रियों  को  राज कार्य  समझा  दिया  और  सैनिकों  समेत  जंगल  को  प्रस्थान  किया  l 
घने  जंगल  में  पहुंचे  जहाँ  मनुष्य  तो  क्या  पक्षियों  की  बोली  भी  बहुत  कम  ही  सुनाई  देती  थी  l  विद्वान्  ने  कहा  --- यहीं  ठहरना  ठीक  है  l  राजा  की   आज्ञा    से  सैनिकों  ने  वहीँ  तम्बू  लगाया  ,  भोजन  आदि  व्यवस्था  की  l  अब  विद्वान्  ने  कहा --- राजन  !  मैं  आपके  प्रश्न  का  उत्तर  दूंगा , लेकिन  यह  सामने  वाला  बरगद  का  पेड़  इसमें  सबसे  बड़ी  बाधा  है  l  यह  पेड़  जब  तक  जड़  सहित  अपने  आप   न  गिर  जाये   तब  तक  मैं  आपके  प्रश्न  का  उत्तर   नहीं  बता  सकता  l  अत:  आप  इन  500  सैनिकों  को  उस  हरे - भरे  पेड़  की  देख - रेख  में  तैनात  कर  दें  l    यह  सख्त  आदेश  दें  कि  जब  तक  पेड़  सूख  न  जाये  कोई  भी  सैनिक  वहां  से  हटे  नहीं   और  उस  पेड़  को  नष्ट  करने  के  लिए  उस  पर  किसी  शस्त्र  का  प्रयोग  न  करें  l  जैसा  विद्वान्  ने  कहा  राजा  ने  सब  वैसा  कर  दिया  l    अब  500  सैनिक  उस  पेड़  की  देख - रेख  में  लग  गए  और  महाराज  स्वयं  उस  पेड़  के  सूखने  की  राह  देखने  लगे  l
दो - तीन  दिन  जैसे - तैसे  बीते  लेकिन  दिन  भर   जून  की  तपती  धूप,  लू   और  पानी  की  कमी  से   वे  बड़े  व्याकुल  हो  गए  l  सोते - जागते , उठते - बैठते , खाते -पीते  उनके  मुंह  से  यही  निकलता --हाय !  ये  पेड़  कब  सूखेगा  ?  कब  हम  अपने  घर  जायेंगे  ?  बच्चों  से  मिलेंगे  ?  वे  500 जवान  उस  पेड़  के  लिए  ह्रदय  से  दुःखी  हो  गए  l हाय  ! ये  पेड़  कब  सूखेगा  ? 
किसे  विश्वास  था  कि  यह  सैकड़ों  वर्षों  में  गिरने  वाला  पेड़  जल्दी  ही  सूखकर  गिर  जायेगा  l  लेकिन  यह  क्या  ?  तीन  महीने  भी  नहीं  हुए  कि  पेड़  के  तमाम  पत्ते   सूखकर    झड़  गए  ,  सबको  कुछ  आशा  बंधी  l  पूरे  छह  माह  भी  समाप्त नहीं  हुए  कि  वह  पेड़  जड़  सहित  जमीन  पर  गिर  गया  l  सबकी  खुशी  का  पार  न  रहा  l  एक  सिपाही ने  खुशी  के  मारे  दौड़कर  राजा  को  यह  संदेश  भी  सुना  दिया  कि  श्रीमान ,  बरगद  का  पेड़  जड़  सहित  अपने  आप  गिर  गया  l  राजा  और  विद्वान्  बड़ी  उत्सुकता  से  देखने  आये  l  सब  देखकर  विद्वान्  ने  सैनिकों  से  पूछा --- " तुमने  इस  हजारों  वर्षों  में   नष्ट  होने  वाले  पेड़  को  कैसे  गिरा  दिया  ?  क्या  तुमने  किसी  शस्त्र  की  सहायता  से  ऐसा  किया  ?
वे  सब  बोले -- " महाराज  !यह  तो  अपने  आप  ही  गिर  पड़ा  l  हमने  कोई  शस्त्र  का  प्रयोग  नहीं  किया  l  हाँ ! हम  सोते - जागते    यह   अवश्य   कहते  रहे    कि  हाय !  ये  पेड़ सूख जाये  ,  तब  हम  अपने  घर  जाएँ  l            तब  विद्वान्  ने  कहा ,-- " राजन  !  जिस  प्रकार  यह  हजारों  वर्षों  में  नष्ट  होने  वाला  पेड़   500  जवानों  की  'हाय '  खाकर  अपने  आप  जड़  सहित  गिर  पड़ा  ,  उसी  प्रकार  आदमी  भी  दीन - दुःखियों  को  सता  कर  ,  अनेकों  की  'हाय'  खाकर   अपने  आप  ही  नष्ट  हो  जाता  है  l  "  राजा  भी  समझ  गया  कि  हाय  से  क्या  नहीं  नाश  को  प्राप्त  हो  सकता  ?