9 December 2018

WISDOM ---- अपने भक्त का योगक्षेम भगवान वहन करते हैं

  कहते  हैं  जो    ईश्वर के सच्चे  भक्त  हैं  ,  केवल  कर्मकांडी   नहीं  , निष्काम  कर्म  करते  हैं ,  ईश्वर  के बनाये  इस  संसार  को  सुन्दर  , श्रेष्ठ  बनाने  में  योगदान  देते  हैं  उनका  योगक्षेम  स्वयं  भगवान  वहन  करते  हैं   l  गीता  में    कहा   है ---  मिलेगा  वही,  जिसमे   भक्त  का  हित  होगा  l   ऐसी  इच्छा  ,  आकांक्षा   जिसका  कोई  आधार  नहीं  है  ,  भगवान  की   उपासना  से   पूरी  नहीं  होगी  l  भगवान  अपने  भक्त  का माँ  की  तरह  ध्यान  रखते  हैं   l  
  एक  उदाहरण  रामचरितमानस  में  है ----  जब  नारद जी  भगवान  राम  को  वन  में  सीता  को  ढूंढते  हुए  विरह  की  स्थिति  में  देखते  हैं   तो  उनके  पास  जाकर    पूछते  हैं    ---- "  एक  बार    आपने  मुझे  अपनी  माया  से  मोहित  कर  दिया  था ,  और  मैं  विवाह  को  आतुर  था  ,  तब  आपने   ऐसी  माया  रच  दी  कि   मेरा  विवाह  नहीं  हो  पाया  ,     तब  व्याकुलता की  स्थिति  में  मैंने  शाप  दे  दिया  था   कि   त्रेतायुग  में  जब  राम  के  रूप में  अवतार  होगा  तो  ऐसी  विरह  की  स्थिति  से  गुजरना  होगा ---- तब  आपने   ऐसा  क्यों  किया  ? 
     भगवान कहते  हैं ----- '  कुपथ्य  मांग  जिमि  व्याकुल  रोगी ,  वैद्य  न  देई  सुनो  मुनि  योगी   l '
  यदि  कोई  रोगी  वैद्य  से   कुपथ्य  मांगे  तो  वैद्य  उसे  वह  नहीं  देता   क्योंकि  वह  रोगी  का  हित  चाहता  है   l   काम  और  क्रोध   इनसान  के  सबसे  बड़े  शत्रु   हैं  ,  जो  मेरा  भक्त  है  उसके  पास  केवल  मेरा  ही  बल  होता  है   , इसलिए  अपने  भक्त  के  काम  व  क्रोध  रूपी  शत्रुओं  को  मारने  की  जिम्मेदारी  तो  मेरी  है  l   तुम  मेरे  प्रिय  भक्त  हो   l   इन  शत्रुओं  से  तुम्हारी  रक्षा  करना  मेरी  जिम्मेदारी  है   l  "
  हम  ईश्वर  के  सच्चे  भक्त - कर्मयोगी  बने   l