18 May 2022

WISDOM------

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने    अपने  लेखन  से  हमें  जीवन  जीने  की  कला  सिखाई  है  l  जब  संसार  में  चारों  ओर  हाहाकार  मचा  हुआ  है  ,  छल -कपट , षड्यंत्र , धोखे  का  बोलबाला  है  , संवेदनहीनता  है  l    ऐसी  विपरीत  परिस्थितियों  में  हम अपने  मन  को  कैसे  शांत  रख  सकते  है  ? इसका  ज्ञान   ही   जीवन  जीने  की  कला  है   l  ------- आचार्य श्री  लिखते  हैं  दूसरों  द्वारा  किए  जाने  वाले  व्यवहार  पर  हमारा  नियंत्रण  नहीं  हो  सकता   और  न  ही  दूसरों  के  विचारों  और  कार्यों  पर   हमारा  नियंत्रण  हो  सकता  है    लेकिन  हम  स्वयं  के   व्यवहार ,  विचार  और  कार्यों  पर  नियंत्रण  जरुर  ही  कर  सकते  हैं   l     यदि  हमारे  जीवन  में  ऐसे  लोग  हैं   जो  हमें  अच्छे  नहीं  लगते  ,  उनका  व्यवहार  हमारे  प्रति  अच्छा  नहीं  है    तो  हमें  इन  व्यक्तियों  से  लड़ने  के  बजाय  उनसे  निश्चित  दूरी  बना बना  लेनी  चाहिए  l l  यहाँ   दूरी  से  तात्पर्य   है  --हमें  मन  से  उन  सीमाओं  को   निश्चित  करना  है  ,  जिससे  हमें  व्यक्ति  विशेष  के  साथ  कटु  व्यवहार  के  लिए   विवश  न  होना  पड़े   l  यदि  हम  किसी  को  अपना  मित्र  नहीं  बना  सकते   तो  उसे  अपना  शत्रु  भी  नहीं  बनाना  चाहिए    l  किसी  को  भी  अपना  नजदीकी  मित्र  बनाने  से  पहले   उसे  कई  बार  परख  कर  निर्णय  लेना  चाहिए   l