18 December 2017

WISDOM ------- भौतिक प्रगति के साथ मनुष्यों ने जीवन - मूल्यों को नाकारा है इस कारण समस्याएं उत्पन्न हुई हैं

  बुद्धि  और  शक्ति  के  साथ  यदि  संवेदना  न  हो  तो   ऐसी  भावशून्यता   और  संवेदनहीनता   के  कारण समाज  में  आतंकवाद ,  दंगे , खून - खराबा  बढ़  जाता  है   l
  जब  व्यक्ति   स्वार्थ , अहंकार ,  ईर्ष्या - द्वेष   जैसे  दुर्गुणों   से  स्वयं  को  दूर  रखेगा   और  उस     के  भीतर  संवेदना  जागेगी  तभी  वह  प्राणिमात्र   के  कल्याण  की  बात  सोच सकता  है   l
  एक  प्रसंग  है ----- कौशाम्बी   के  राजगृह  में  कारू  कसूरी  नामक  कसाई  रहता  था  l  वह  पशुओं  का  मांस  बेचकर  अपनी  जीविका  चलाता  था  l  जब  राजगृह  में  बौद्ध  संत  आते  तो  वह  उनके  दर्शनों  को  जाता  था   l  संत  किसी  भी  प्रकार  की  हिंसा  न  करने  की  प्रेरणा  दिया  करते  थे  l  परन्तु  कारू  कसूरी  कहता  --- मैं  अपने  पुरखों  के  धंधे  को  कैसे  छोड़  दूँ   ?  यदि  मैं  हिंसा  न  करूँ  तो  खाऊंगा  क्या  ? '
   जब  कारू  कसाई  वृद्ध  हो  गया  तो  उसने  तलवार  अपने  बेटे  सुलस  को  सौंप  दी  l  कसाइयों  की  पंचायत  में  सुलस  से  कहा  गया  कि   कुलदेवी  की  प्रतिमा  के  समक्ष  भैंसे  की  बलि  दो  l 
 सुलस  का  ह्रदय   पशुओं  के  वध  के  समय  उनकी  छटपटाहट  देख  द्रवित  हो  उठता  था  l  अत:  उससे  तलवार  नहीं  उठी  l  मुखिया  ने  दुबारा  उससे  कहा  ---- " बेटे  !  यह  हमारे  कुल  की  परंपरा  है  ,  देवी  को  प्रसन्न  करने  के  लिए  खून  बहाना  पड़ता  है  l "  सुलस  ने  भैंसे  की  जगह  अपने  पैर  में  तलवार मार  ली   l  पूछने  पर  सुलास  बोला   ---- ' यदि  देवी  को  रक्त  की  चाहत  है  तो  किसी  निर्दोष  का  खून  बहाने  से  बेहतर  है  कि   वे  मेरा  ही  रक्त  स्वीकार  कर  लें  l '  सुलस  की  बात  सुनकर  कसाई  का  ह्रदय  द्रवित  हो  गया  और  उस  दिन  के  बाद  से   उस  कसाई  के  परिवार  में  पशुवध  बंद  कर  दिया  गया   l '
  यदि  मनुष्य  के  भीतर  करुणा,  दया ,  सेवा , प्रेम  जैसे  भाव  जाग्रत  हो  जाएँ  तो  आत्मीयता  और   अपनेपन  का  विस्तार  होता  है   l