21 October 2021

WISDOM -----

 पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  --- ' प्रकृति  हमारे  कर्मों  का  हिसाब - किताब  पाप  व  पुण्य  के  रूप  में  करती  है   l   जो  कर्म  शुभ  भावना  से   किए  जाते  हैं , दूसरों  को  सुखी  करते  हैं   वे  पुण्य  कर्म  होते  हैं   लेकिन  जो  कर्म  दूसरों  को  नुकसान  व  पीड़ा  पहुँचाने  के  लिए  किए  जाते  हैं   वे  कर्म  पाप  की  श्रेणी  में  आते  हैं   l   जो  कर्म  हमने  किए  हैं   ,  उनका  परिपाक  समय  के  गर्भ  में  होता  है  l   इनका  परिपाक  हो   जाने  पर   एक  निश्चित  स्थान  पर    काल  उनका  परिणाम  प्रस्तुत  करता  है  l  व्यक्तिगत  जीवन  में  यदि   कर्म  अशुभ  होता  है    तो  उसका  परिणाम   रोग , शोक , पीड़ा  व  पतन  बनकर  प्रस्तुत  होता  है   l   यदि  सामूहिक  जीवन  में  अशुभ  कर्म  होता  है   तो  उसका  परिणाम   प्राकृतिक  आपदाओं ,  युद्ध ,  महामारी , भूकंप ,  बाढ़ , सूखा  अकाल   आदि  के  रूप  में   प्रकट  होता  है   l  " 





































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































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