13 January 2022

WISDOM -----

    पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- " सकारात्मक  भावना  व्यक्तित्व  को   मजबूत  एवं  आशावान  बनती  हैं  l   ऐसे  व्यक्ति  का  व्यक्तित्व   अविभक्त  होता  है   और  वही  भक्त  कहलाता  है  l   भक्त  हर  परिस्थिति  में  सुखी  , संतुष्ट  एवं  शांत  रहता  है  ,  वह  कभी  शिकायत  नहीं  करता  ,  कभी  परेशान    नहीं  होता  और   न  किसी  को  परेशान    करता  है   l "------- बहराम  बड़ा  ही  धनवान  था   l   उसका  कारवाँ   डाकुओं   ने  लूट  लिया  ,  बहुत  नुकसान  हो  गया  l  संत  अहमद  उसके  समीप  ही  रहते  थे  , एक  दिन  उससे  मिलने  गए  l   बहराम  ने  भोजन  लाने  का  आदेश  दिया  l  संत  बोले ---- " भाई  !  तुम्हारा  इतना  नुकसान  हुआ  है  l   मैं  भोजन  करने  नहीं  ,  तुम्हे  सांत्वना  देने  आया  हूँ   l  "  बहराम  बोला ---- "  आप  निश्चिन्त  होकर  भोजन  कर  लें   l   यह  सच  है  कि   मेरा  बहुत  बड़ा  नुकसान  हुआ  ,  डाकुओं  ने  मुझे   लूटा   है  ,  पर  मैंने  कभी  किसी  को  नहीं  लूटा ,  किसी  का  अहित   नहीं किया  l   मैं  अल्लाह   का एहसानमंद  हूँ  कि   मात्र  मेरी  नश्वर  सम्पति  लूटी  गई  है  l   मेरी  शाश्वत  सम्पति  है  --- ईश्वर  के  प्रति  मेरा  दृढ  विश्वास   l  यही  मेरे  जीवन  की  सच्ची  सम्पति  है   और  वह  मेरे  पास  है   l "  संत  बोले  --- ' भाई  !   सच्चे अर्थों  में  तुम  संत  हो   l l '

WISDOM ------

   स्वस्थ  जीवन  बिताने  के  लिए   सूर्य  से  सहायता  लेने  की  बड़ी  आवश्यकता  है  l   भगवान  भास्कर  में  इतनी  प्रचंड  रोगनाशक  शक्ति  है  ,  जिसके  बल  से  कठिन  से  कठिन   रोग  दूर  होते  हैं  l  जब  से  हमने  सूर्य  रश्मियों  का  अनादर  किया  ,  बंद  जगहों  में  निवास   करना  सभ्यता  में  शामिल  किया  ,  तब  से  हमने  अपने  बहुमूल्य  स्वास्थ्य  को  गँवा  दिया  l   पृथ्वी  का  केंद्र  सूर्य  है  , इस   महत्व    को  समझकर  ही  हमारे  प्राचीन  आचार्यों  ने   सूर्य  प्राणायाम , सूर्य  नमस्कार  , सूर्य  चक्र  बेधन  आदि   अनेक  क्रियाओं  को  धार्मिक  स्थान  दिया  l  प्रसिद्ध   दार्शनिक  न्योची   का  मत  है ---- " जब  तक  दुनिया  में  सूरज  मौजूद  है  ,  तब  तक  लोग   व्यर्थ  ही  दवाओं  की  तलाश  में  भटकते  हैं  l   उन्हें  चाहिए   कि   इस  शक्ति , सौंदर्य  और  स्वास्थ्य   के  केंद्र  सूर्य  की  और  देखें   और  उसकी  सहायता  से  अपनी  असली  अवस्था  को  प्राप्त  करें   l  "   गायत्री  मन्त्र  के  देवता   सविता  देव  ( सूर्य )  ही  हैं  l  मनुष्य  का  अहंकार   नकली  सूर्य  बनाने  का  दावा   करता  है   लेकिन   गायत्री  मन्त्र  के  जप  और  सविता  देव  की  उपासना  से  जो  विवेक  जाग्रत  होगा ,  सद्बुद्धि  आएगी   वह  नकली  सूर्य  से   कभी  नहीं  आएगी  l   विज्ञानं  और  वैज्ञानिक  आविष्कारों  का  अपना  महत्व   है   लेकिन   जो  शक्ति  मानव  मन  को  रूपांतरित  कर  उसे   इनसान   बनाये , उच्च  अवस्था  में  पहुंचाए   , वह  शक्ति  भारतीय  अध्यात्म  में  है  l