पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " सकारात्मक भावना व्यक्तित्व को मजबूत एवं आशावान बनती हैं l ऐसे व्यक्ति का व्यक्तित्व अविभक्त होता है और वही भक्त कहलाता है l भक्त हर परिस्थिति में सुखी , संतुष्ट एवं शांत रहता है , वह कभी शिकायत नहीं करता , कभी परेशान नहीं होता और न किसी को परेशान करता है l "------- बहराम बड़ा ही धनवान था l उसका कारवाँ डाकुओं ने लूट लिया , बहुत नुकसान हो गया l संत अहमद उसके समीप ही रहते थे , एक दिन उससे मिलने गए l बहराम ने भोजन लाने का आदेश दिया l संत बोले ---- " भाई ! तुम्हारा इतना नुकसान हुआ है l मैं भोजन करने नहीं , तुम्हे सांत्वना देने आया हूँ l " बहराम बोला ---- " आप निश्चिन्त होकर भोजन कर लें l यह सच है कि मेरा बहुत बड़ा नुकसान हुआ , डाकुओं ने मुझे लूटा है , पर मैंने कभी किसी को नहीं लूटा , किसी का अहित नहीं किया l मैं अल्लाह का एहसानमंद हूँ कि मात्र मेरी नश्वर सम्पति लूटी गई है l मेरी शाश्वत सम्पति है --- ईश्वर के प्रति मेरा दृढ विश्वास l यही मेरे जीवन की सच्ची सम्पति है और वह मेरे पास है l " संत बोले --- ' भाई ! सच्चे अर्थों में तुम संत हो l l '
13 January 2022
WISDOM ------
स्वस्थ जीवन बिताने के लिए सूर्य से सहायता लेने की बड़ी आवश्यकता है l भगवान भास्कर में इतनी प्रचंड रोगनाशक शक्ति है , जिसके बल से कठिन से कठिन रोग दूर होते हैं l जब से हमने सूर्य रश्मियों का अनादर किया , बंद जगहों में निवास करना सभ्यता में शामिल किया , तब से हमने अपने बहुमूल्य स्वास्थ्य को गँवा दिया l पृथ्वी का केंद्र सूर्य है , इस महत्व को समझकर ही हमारे प्राचीन आचार्यों ने सूर्य प्राणायाम , सूर्य नमस्कार , सूर्य चक्र बेधन आदि अनेक क्रियाओं को धार्मिक स्थान दिया l प्रसिद्ध दार्शनिक न्योची का मत है ---- " जब तक दुनिया में सूरज मौजूद है , तब तक लोग व्यर्थ ही दवाओं की तलाश में भटकते हैं l उन्हें चाहिए कि इस शक्ति , सौंदर्य और स्वास्थ्य के केंद्र सूर्य की और देखें और उसकी सहायता से अपनी असली अवस्था को प्राप्त करें l " गायत्री मन्त्र के देवता सविता देव ( सूर्य ) ही हैं l मनुष्य का अहंकार नकली सूर्य बनाने का दावा करता है लेकिन गायत्री मन्त्र के जप और सविता देव की उपासना से जो विवेक जाग्रत होगा , सद्बुद्धि आएगी वह नकली सूर्य से कभी नहीं आएगी l विज्ञानं और वैज्ञानिक आविष्कारों का अपना महत्व है लेकिन जो शक्ति मानव मन को रूपांतरित कर उसे इनसान बनाये , उच्च अवस्था में पहुंचाए , वह शक्ति भारतीय अध्यात्म में है l