7 October 2021

WISDOM ------

   इस  संसार  का  सबसे  बड़ा  आश्चर्य  यह  है   कि   मृत्यु  को  निश्चित  जानकर  भी   मनुष्य   यह  चाहता  है  कि   वो  अमर   हो  जाये   l   इसके  लिए  चिकित्सा  क्षेत्र  में  तरह - तरह  के  अनुसन्धान  किये  जाते  हैं   l  प्रचार - प्रसार  द्वारा    सामान्य  जन  को  समझाया  जाता  है  कि   इन  सब  तरीकों  से  वे  स्वस्थ  हो  जायेंगे   l   एक  लेख  में  पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ------ "  जरा ,   मृत्यु   तथा  व्याधि  का  ही  निवारण   तो  कर  सकोगे   l   भय -शोक  ,  लोभ ,  मोह  ,  ईर्ष्या - द्वेष    तो  मनुष्य  के  मन  से  उत्पन्न  होते  हैं    l   ये  दुःख  तो  उसके  मन  से   पैदा  होते  हैं  l   अमर  होने  मात्र  से  मनुष्य  सुखी  कैसे  हो  जायेगा   ?  मृत्यु   से  अभय   होकर   अजितेन्द्रिय  प्राणी   अधिक  तमोगुणी  ,  विषय  लोलुप  ,   अधर्माचारी  होकर   परिणामस्वरूप  अनंत  काल  तक  अशांत ,  क्षुब्ध   और  दुःखी   रहने  लगेगा   l     मानव  का  कल्याण  चाहते  हो  तो    उसके  विचारों  में  परिवर्तन  करो   l   उसके  शरीर  का  नहीं  मन  का  कायाकल्प  करो   l   उसे  जीवन  जीने  की  कला  सिखाओ   l   

WISDOM -------

   स्वामी  विवेकानंद  ने   अपने  शिष्य  को  एक  कथा  सुनाई ------  एक  तत्वज्ञानी  अपनी  पत्नी  से  कह  रहे  थे  , संध्या  आने  वाली  है  कपड़े  समेट    लो   l   एक  सिंह  कुटी  के  पीछे  यह  सुन  रहा  था  '  उसने  समझा  कि   संध्या  कोई  बड़ी  शक्ति  है  , जिससे  डरकर   यह  निर्भय  रहने  वाले  ज्ञानी   भी  अपना  सामान  समेटने  को  विवश  हुए   l  सिंह  चिंता  में  डूब   गया   और  संध्या  का  डर    सताने  लगा  l  पास  के  घाट  का  धोबी  दिन  छिपने  पर  अपने    कपड़े    समेट   कर    गधे  पर  लाने  की  तयारी  करने  लगा   l   इधर - उधर  देखा    तो  गधा  गायब  था   l   रात  घिर  आई  और  पानी  बरसने   लगा  l  धोबी  को  एक  झाडी  में  खड़खड़ाहट   सुनाई  दी  ,  वह  समझा  कि  गधा  है    तो  उसे   लाठी  से  पीटने  लगा  --- धूर्त   यहाँ  छिपकर  बैठा  है  ,   सिंह  की  पीठ  पर  लाठियाँ   पड़ीं   तो  उसने  समझा  यही  संध्या  है  ,  सो  डर   से  थर - थर  काँपने   लगा   l  धोबी  उसे  घसीट  लाया  और  कपड़े  लादकर  घर  चल  दिया  l   रास्ते  में  एक  दूसरा  सिंह  मिला  ,  उसने  अपने  साथी  की  दुर्गति  देखी  तो  पूछा  ---- यह  क्या  हुआ  ?  तुम  इस  प्रकार  लदे   क्यों  फिर  रहे  हो  l  सिंह  ने  कहा ---- संध्या  के   चंगुल  में  फंस  गए  हैं   l वह  बुरी  तरह  पीटती   है  और  इतना  वजन  लादती  है   l   सिंह  को  कष्ट  देने  वाली   संध्या  नहीं   उसकी  भ्रान्ति  थी ,  जिसके  कारण  धोबी  को  कोई  बड़ा   देव - दानव  समझ  लिया   और  भार  व  प्रहार    बिना  शिर  हिलाये  स्वीकार  कर  लिया   l   आज   मानव  समुदाय  की  भी  यही  स्थिति  है  ,  जागरूकता   और  सद्बुद्धि  के  अभाव  में  अपने  ऊपर   अनेक  प्रकार  के  बोझ  लाद     लिए  हैं  l   अपने  वास्तविक  स्वरुप  को  न  समझ  पाने  के  कारण   ही  भटक  रहा  है  l