2 November 2018

WISDOM ----- मनुष्य बनें

   पुराणों में  अनेक  ज्ञानवर्धक  कथाएं  हैं   जो  हमें  सिखाती  हैं  कि  हम  अपनी  चेतना  को  जगाएं  और  सही  अर्थों  में  मनुष्य  बनें   l  एक  कथा  है ------  एक  बार  महर्षि  वेद व्यास   एक  नगर  से  होकर  जा  रहे  थे  l  उन्होंने  एक  कीड़े  को  तेजी  से  भागते  देखा  l  उन्हें  यह  जानने  की  जिज्ञासा  हुई  कि  एक  छोटा  सा  कीड़ा  इतनी  तेजी  से किस  कारण  भागा  जा  रहा  है  ?   महर्षि  व्यास   कीड़े - मकोड़े  और  पशु - पक्षियों  की  भाषा  के  गहरे  जानकर  थे  और  उनमें   सभी  से    संवाद  करने  की   अद्भुत   क्षमता   थी  l 
 उन्होंने  उस  कीड़े  से  पूछा ---- " तुम  इतनी  तेजी  से  कहाँ  भागे   जा  रहे  हो  ? " 
 कीड़े  ने  कहा --- " अरे  ! मैं  तो  अपनी  जान  बचाने  के  लिए   भाग  रहा  हूँ  l  देख नहीं  रहे   पीछे  कितनी  तेजी  से  बैलगाड़ी   चली  आ  रही  है  l  "
कीड़े  के  उत्तर  ने  महर्षि  को  चौंकाया  ,  वे  बोले ---- "  पर  तुम  तो  इस  कीट  योनि  में  पड़े  हो  l  यदि  मर  गए  तो  तुम्हे   दूसरा  और  बेहतर  शरीर  मिलेगा   l  "
वह  कीड़ा  बोला ---- " महर्षि  ! मैं  तो  कीड़े  की  योनि  में  रहकर  कीड़े  का  आचरण   कर  रहा  हूँ  ,  परन्तु  ऐसे  प्राणी  तो   असंख्य  हैं  ,  जिन्हें  विधाता  ने  शरीर  तो   मनुष्य  की  दिया  है  ,  पर  वे  मुझ  कीड़े   से  भी  गया - गुजरा  आचरण  कर  रहे  हैं  l  मेरे  पास तो  शरीर  ही  ऐसा  है  कि  अधिक  ज्ञान  नहीं  पा  सकता  ,  पर  मानव  तो  श्रेष्ठ  शरीर  धारी  है  ,  परन्तु  उनमे  से  ज्यादातर   ज्ञान  से  विमुख  होकर  कीड़े  जैसा  आचरण  कर   रहे  हैं   l  " 
  कीड़े  की  इन  बातों  को  सुनकर  महर्षि  सोचने  लगे  कि   मानव  जीवन  पाकर  भी  जो  कामना ,  वासना  , ईर्ष्या   और  अहंकार   के  वशीभूत  होकर   दुराचरण  करता  है   वह  है  तो  कीड़े  जैसा  ही ,  बल्कि  कीड़े  से  भी  बदतर   है   l 
  महर्षि  ने  कहा --- :  " हम  तुम्हारी  सहायता  कर  देते  हैं   l  तुम्हे  अपने  हाथ  में  उठाकर  मैं   आने  वाली  बैलगाड़ी   से   दूर  पहुंचा  देता  हूँ   l  "
इस  पर  कीड़े  ने  कहा --------  " आपका  आभार मुनिवर  !  परन्तु  श्रम रहित  पराश्रित  जीवन   विकास  के  सारे  द्वार  बंद  कर  देता  है  l  मुझे  स्वयं  ही  संघर्ष  करने  दीजिए  l  इस  संघर्ष  में  यदि   मृत्यु   हो  भी  गई  तो    भगवती  आदि  शक्ति   स्वयं  ही  मेरे  लिए  विकास  के  द्वार  खोल  देंगी  l  l "
 कीड़े  के  कथन  में   हम  सबके  लिए  ज्ञान  का    नया  सन्देश  है   l