7 January 2020

WISDOM ------- अनाचार का प्रतिरोध करना मनुष्य का अत्यंत पवित्र कर्तव्य है

  'अन्याय  को  सहन  करना ,  पाप  से  सहयोग  करने  एवं   उसे  बढ़ावा  देने  के  समान   है  l  प्रतिरोध  न  करने  से  अन्यायी  की  हिम्मत  बढ़ती  है  और  वह  दूने - चौगुने  साहस  के  साथ   अपनी  सफलता  पर  गर्व  करता  हुआ   और  अधिक  अत्याचार करता  है  l  '
  आज   की  परिस्थिति  में  दुष्ट  मनुष्य  के  साथ  भी   व्यक्तिगत  रूप  से  मरने - मारने   का  युद्ध  नहीं  हो  सकता  l   अब  अनीति  के  विरुद्ध  संघर्ष  के  दूसरे  तरीके  हैं  --- असहयोग , विरोध  और  मर्यादित  संघर्ष  -- यह  आज  की    स्थिति  में  संभव  है  l  अविद्दा , बीमारी , गरीबी , मूढ़ता , अन्धविश्वास , रूढ़िवादिता , कायरता , भीरुता , स्वार्थपरता , संकीर्णता , व्यसन , अहंकार  आदि  के  रूप  में  असुरता  जन - जन  के  मन  में   गहराई  तक  समा   गई  है  l  असंयम , आलस  और  अज्ञान  ने  अपना  साम्राज्य  स्थापित  कर  लिया  है  l        इस  असुरता  के  नाश  के  लिए  अब  युद्ध  किसी  एक  व्यक्ति विशेष ,  जाति   या  धर्म  विशेष  के  विरुद्ध  नहीं  अपितु  दुष्प्रवृतियों  के  विरुद्ध   करना  चाहिए  l
  किसी  जाति ,  किसी  धर्म  में  जन्म  लेने  से  व्यक्ति  बुरा  नहीं  होता  l  काम , क्रोध , लोभ , मोह , ईर्ष्या , द्वेष  आदि  मानवीय  कमजोरियों  के  कारण  ही  व्यक्ति   दुष्कर्म  करता  है , अपराध  में  संलग्न  होता  है  l