4 August 2023

WISDOM ------

  मध्यकाल  की  बात  है  l  समाज  में  अनेक  कुरीतियाँ  पनप  रहीं  थीं   और  मानवता  का  पतन  अपनी  चरम  सीमा  पर  था  l  राजतन्त्र  भ्रष्टाचारियों  के  हाथ  की  कठपुतली  बन  गया  था  l  ऐसे  में  एक  संत  ने   समाज -सुधार  का  कार्य  आरम्भ  किया  l  कुछ  लोग  साथ  चले  और  कुछ  विरोधी  भी  हो  गए  l  संत  के  आचरण  के  संबंध  में  अनर्गल  बातों  का  प्रचार  करने  लगे  l  संत  के  शिष्य  को  यह  अच्छा  नहीं  लगा   l  वह  उनसे  बोला ---- "गुरुदेव  !  आप  तो  भगवान  के  समीप  हैं  ,  उनसे  कहकर  यह  दुष्प्रचार  बंद  क्यों  नहीं  करा  देते  l  "  संत  मुस्कराए  और  शिष्य  के  हाथ  में  एक  हीरा  देकर  बोले  --- " जा  बेटा  !सब्जी  मंडी  और  जौहरी  बाजार  में   इसका  दाम  पूछकर  आ  l  "  शिष्य  को  अजीब  तो  लगा  लेकिन  गुरु  का  आदेश  था  l   कुछ  समय  बाद   शिष्य  लौटा   और  बोला  --- "  सब्जीमंडी  में  तो   इसका  ज्यादा  से  ज्यादा  पचास  रूपये  का  दाम  लगा  ,  पर  जौहरी  इसकी  कीमत  हजारों  में  आँक  रहा  था  l  "  संत  बोले  ----- "  बेटा  !  अच्छे  कर्म   भी  इसी  हीरे  की  तरह  हैं  , जिसकी  कीमत  केवल  परमात्मा  रूपी  पारखी  ही   जानता  है  l  कुछ  नासमझों  के  विरोध  से   यदि  हम  उदेश्य  से  विमुख  हो  गए  ,  तो  हम में  और  उनमें  क्या  अंतर  रह  जायेगा  l "  शिष्य  भी  इस  सत्य  को  जान  गया  कि  ईश्वर  हम  सबके  कर्म  और  उस  कर्म  के  पीछे  छुपी  भावनाओं  को   जानते  है  l   अब  शिष्य  भी   समर्पण  के  साथ   समाज  सुधार  के  कार्यों  में  जुट  गया  l