15 August 2023

WISDOM ------

 पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----" यदि  हम  समस्या  को  सुलझाना  चाहते  हैं  , उस  पर  विजय  पाना  चाहते  हैं   तो  हमें  अपनी  प्रतिक्रिया  को  नियंत्रित  करना  होगा  l  समस्या  के  कारणों   को  जाने -समझे  बिना   तुरंत  रिऐक्ट  करने  से  समस्या  और  भी  जटिल  हो  जाती  है  l  यदि  हमें  समस्या  को  सुलझाना  है  , उससे  बाहर  निकलना  है   तो  हमें  अपना  ध्यान   उसके  समाधान  पर  केन्द्रित  करना  होगा  l  "------- एक  बार  महात्मा  बुद्ध   अपने  शिष्यों  के  साथ  यात्रा  कर  रहे  थे  l  एक  झील  देखकर  उन्होंने  अपने  दोनों  शिष्यों  से  कहा ----" मुझे  प्यास  लग  रही  है  , झील  से  पानी  ले  आओ  l "  तभी  एक  बैलगाड़ी  झील  में   उतरकर    उस  पार  जाने  लगी  l  इससे  पानी  मटमैला  हो  गया  l  एक  शिष्य  तुरंत  लौट  आया   और  बुद्ध  से  बोला --- " पानी  गन्दा  है  , आपके  पीने  लायक  नहीं  है  l "  जबकि  दूसरा  शिष्य   चुपचाप  वहीँ  झील  के  किनारे  ही  बैठ  गया  l  कुछ  समय  बाद  वह  साफ़  पानी  लेकर  बुद्ध  के  पास  पहुंचा  ,  तो  वे  बोले ---- "तुमने  पानी  को  साफ़  करने  के  लिए  क्या  किया  ? "  दूसरे  शिष्य  ने  कहा --- " कुछ  नहीं , सिर्फ  समय  दिया  , मिटटी  अपने  आप  जम  गई   और  मुझे  साफ़  पानी  मिल  गया  l "  आचार्य श्री  लिखते  हैं  --- इस  घटना क्रम  में  दोनों  शिष्यों  के  पास  समान  समस्या  थी   किन्तु  पहले  शिष्य  का  ध्यान  सिर्फ  समस्या  पर  था  इसलिए  वह  पानी  लाने  में  असफल  रहा  l  जबकि  दूसरे  शिष्य  का  ध्यान  समस्या  के  कारण  और  उसके  समाधान  पर  थ  , इसलिए  वह  सफल  रहा  l  आचार्य श्री  लिखते  हैं --- इस  सूत्र  को  अपनाकर  जीवन  में  आने  वाली  किसी  भी  मुश्किल  समस्या  को  हम  सहजता  से  हल  कर  सकते  हैं  l  जीवन  की  हलचल  को  शांत  होने  के  लिए  कुछ  वक्त  देना  जरुरी  है  l  जिस  तरह  गंदे  पानी  को  स्वच्छ  बनाने  के  लिए   उसमे  मिली  मिटटी  के  नीचे  बैठने  का  इंतजार  करना  होता  है  ,  उसी  प्रकार  जीवन  की  हलचलों  को  शांत  करने  के  लिए   कुछ  वक्त  देना  भी  जरुरी  होता  है  l "