5 January 2023

WISDOM ---

   लघु -कथा --- एक  गधा  पीठ  पर  अनाज  की  भारी  बोरी  लादे  चल  रेः  था  l  देवर्षि  नारद  वहां  से  निकले  तो  उन्होंने  गधे  के  निकट  से  गुजर  रही   एक  चींटी  को  झुककर  प्रणाम  किया  l  गधे  को  यह  देखकर  बड़ा  आश्चर्य  हुआ  l  उसने  अपनी  जिज्ञासा  नारद जी  के  सामने  रखी  देवर्षि  बोले  --- ' वत्स  ये  चींटी  बड़ी  कर्मयोगी  मही  , निष्ठां पूर्वक  अपना  कार्य  करती  है  l  देखो  कितनी  बड़ी  चीनी  की  डली   लिए   जा  रही  है  , इसलिए  मैंने  इसकी  निष्ठां  को  नमन  किया  l "  गधा  क्रोधित  हुआ  और  बोला  --- प्रभु  !  यह  अन्याय  है  , इससे  ज्यादा  बोझ  तो   मैंने  उठा  रखा  है   तो  मुझे  बड़ा  कर्मयोगी  कहलाना  चाहिए  l ' देव ऋषि  बोले  --- ' पुत्र  !  कार्य  को  भार  समझकर   करने  वाला  कर्मयोगी  नहीं  कहलाता  l   कर्मयोगी  वो  कहलाता  है    जो  कार्य  को   अपना  दायित्व  समझकर   प्रसन्नता पूर्वक  उसे  निभाता  है  l  गधे  की  समझ  में  कर्मयोग  का  मर्म  आ  गया  l