16 March 2018

WISDOM ---- जीवन को समृद्ध और निष्कलंक बनाने के लिए हमें परावलम्बी नहीं होना चाहिए

   ' परावलम्बी  व्यक्ति  के  पास   न  अपना  विवेक  होता  है  न  अपनी  बुद्धि  l  इसलिए  किसी  भी  आपातकालीन  स्थिति  में   स्वयं  निर्णय  लेने  की  क्षमता  उनमे  नहीं  होती  l  '
 समाज   के  कतिपय  गणमान्य  एवं  धनी  कहे  जाने  वाले  व्यक्ति  भी  परावलम्बन  के  शिकार  होते  हैं  l  बड़े - बड़े  सेठ  कुशलता  और  वाकपटुता  के  अभाव  में   अपने  मुनीमों  के  वश  में  रहते  हैं  l
 इसी  तरह  शासन  में  कई  उच्च  अधिकारी   स्वयं  निर्णय  लेने  की  असमर्थता  के  कारण  अपने  आधीन  कर्मचारियों  के  आश्रित  रहते  हैं  l  इससे  उनकी  स्वतंत्र  सत्ता  हमेशा  खतरे  में  पड़ी  रहती  है  l
 पर निर्भरता   एक  कमजोरी  है  ,  इस  कमजोरी  को  यदि   अपने  से  नीचे  वाला  जान  लेता  है   तो  हमेशा  अनुचित  लाभ  लेने  की  ताक  में  रहता  है  l
  महारानी  कैकेयी  का  उदाहरण  हमारे  सामने   है  l  उसने  महारानी  होते  हुए  भी    दासी  मंथरा  की  कुबुद्धि  का  सहारा  लिया   l  विवेक  और  चातुर्य   के  अभाव  के  कारण  ही   महारानी  कैकेयी  को   कितना  दारुण  दुःख   सहन  करना  पड़ा   l  
  गोस्वामीजी  ने   ठीक  ही  कहा  है ---- ' पराधीन   सपनेहु   सुख  नाहि  l '