30 January 2018

इनसान कितना भी बड़ा हो जाये , वह प्रकृति पर विजय प्राप्त नहीं कर सकता ------ महात्मा गाँधी

   महात्मा  गाँधी  जैसे  विलक्षण  , विरले  और  महान  व्यक्तित्व   कम  ही  होते  हैं  l  वे  अविस्मरणीय  होते  हैं  l  गांधीजी  विचार  देने  से  ज्यादा  विचारों  को  जीवन   में  उतारने  के  हिमायती  थे  l 
  आज   पूरे  विश्व  में  आर्थिक  विकास  ही  प्रगति  का  पैमाना  बन  गया  है ,  जबकि  गांधीजी  ऐसे   एकतरफा  विकास  के  पक्षधर  नहीं  थे   l  वे  ऐसी  आर्थिक  प्रणालियाँ  चाहते  थे  ,  जो   विकास  के  साथ - साथ  मनुष्य  को  स्वार्थी  और  धनलोलुप   न  बनाये  l   आज  दुनिया  विकास  के  नाम  पर  कितने  भी  दावे  के  ले  ,  लेकिन  सच्चाई  यही  है  कि  पहले  के  मुकाबले  आज  भुखमरी  और  गरीबी  बढ़ी  है   l  आंकड़े  कुछ  भी  कहें  , लेकिन  लोगों  के  स्वास्थ्य  स्तर  में  कमी  आई  है   l   गांधीजी  कहते  थे  ---- " प्रकृति  का  शोषण  मत  करो ,  इनसान  कितना  भी  बड़ा  हो  जाये  ,  पर  वह  प्रकृति  पर  विजय  प्राप्त  नहीं  कर  सकता   l  "   
      1916  में  बनारस  हिन्दू  विश्वविद्यालय  के  शिलान्यास  कार्यक्रम  में   देश  भर  से  बड़े - बड़े  लोगों  को  बुलाया  गया  l  गांधीजी  को  भी  इस  कार्यक्रम  में  शामिल  होने  का  न्योता  मिला   था  l   जब  गांधीजी  के  सामने   उपस्थित  लोगों  को  संबोधित  करने  की  बारी  आई    तो  उन्होंने  कहा ---- "  मुझे  यहाँ  आने  में  देर  लगी , समय  पर  नहीं  पहुँच  पाया  , क्योंकि  शहर  की  इतनी  किलेबंदी  की  गई   थी  कि   सुरक्षा  की  वजह   से  यहाँ  पहुँचने  में  देर  लगी   l "  उन्होंने  सवाल  उठाया  कि  यदि  देश  का  वायसराय   जो  संप्रभु  है  ,  उसको  अपनी  प्रजा  से  इतना  डर  लगता  है  तो  इससे  अच्छा  है   कि  वे  न  रहें  l 
  गाँधी  प्राय:  समस्याओं  का  व्यवहारिक  हल  खोजते  थे  और  उनकी  यही  प्रवृति  बाद  में  देश  की  आजादी  की  लड़ाई  के  दौरान   रचनात्मक  कार्यक्रमों  का  हिस्सा  बनी  l