लघु -कथा ----- एक बार एक गरीब आदमी हजरत इब्राहीम के पास पहुंचा और कुछ आर्थिक सहायता मांगने लगा l हजरत ने कहा ---- ' तुम्हारे पास कुछ सामान हो तो मेरे पास ले आओ l गरीब आदमी के पास एक तश्तरी , लोटा और दो कम्बल थे l हजरत ने एक कम्बल छोड़कर सब सामान नीलाम करा दिया l नीलामी में प्राप्त दो दरहम उसे देते हुए कहा ---- " एक दरहम का आटा और एक दरहम की कुल्हाड़ी खरीद लो l आटे से पेट भरो और कुल्हाड़ी से लकड़ी काटकर बाजार में बेचो l " गरीब आदमी ने यही किया , पंद्रह दिन बाद लौटकर फिर आया तो उसके पास बचत के दस दरहम थे l हजरत ने कहा ---- " समझदारी का मार्ग यही है कि मनुष्य यदि समर्थ हो तो आवश्यक सहायता अपनी ही बाजुओं से मांगे l "