9 December 2022

WISDOM -----

    कर्म  करने  का  व्यक्ति  को  अधिकार  है   लेकिन  वह  उसके  परिणाम  से  बच  नहीं  सकता   l  महाभारत  का  प्रसंग  है  ---- दुर्योधन  के  कहने  पर  दु:शासन  ने  द्रोपदी  का  चीर हरण  किया   l  स्वयं  भगवान  कृष्ण  ने  द्रोपदी  के  चीर  को  अनंत  कर  दिया l  दु:शासन  में  दस  हजार  हाथियों  का  बल  था  , वह  थक गया , पस्त  होकर  गिर  पड़ा ,  अपने  उद्देश्य  में  वह  तनिक  भी  सफल  नहीं  हो  पाया  l   भगवान  चाहते  तो  उसी  समय  दुर्योधन  और  दु:शासन  का  अपने   सुदर्शन चक्र  से  अंत  कर  देते   लेकिन  यहाँ  ईश्वर  ने  बताया  कि  पापियों  को  दंड  तो  अवश्य  मिलता  है  ,  यह  कब  मिलेगा  इसका  ईश्वरीय  विधान  के  अनुसार  समय  निश्चित  हैं  l  द्रोपदी  जब  भी  भगवान  को  अपने  खुले  केश  दिखाती    और  कृष्ण जी  से  कहती -- हे  माधव -!  वह  वक्त  कब  आएगा   जब  मैं  अपने  इन  खुले  केशों  को  बांधुंगी  l  तब  कृष्ण जी  यही  कहते  कि  केवल  दुर्योधन  और  दु:शासन  के  अंत  के  लिए  ही   अवतार  नहीं  लिया  ,  अवतार  का  उद्देश्य  है  --अधर्म  का  अंत  और  धर्म  की  स्थापना   l  दैवीय  विधान  के  अनुसार  ही  सबको  अपने  कर्मों  का  फल  मिलेगा  l   पापियों  को  फलते -फूलते  देख   सामान्य  जन  का  कर्म विधान  से  विश्वास  हट  जाता  है  और  वह  भी  पाप  और  अनीति  की  राह  पर  चलने  लगता  है  l  संसार  में  ऐसे  असंख्य  उदाहरण  देखकर    हमें  कर्म फल  विधान  पर  विश्वास  रखकर  सदा  सत्कर्म  करने  चाहिए   l