11 March 2023

WISDOM ------

    कहते  हैं  जो  कुछ  महाभारत  में  है ,  वही  इस  धरती  पर  है  l  महाभारत  का  कोई  भी  प्रसंग  देख  लें  ,  वैसा  ही  सब  कुछ  इस  धरती  पर , इस  युग  में ,   और  अधिक  विस्तृत  रूप  में   देखने  को  मिल  जायेगा   l   इस  महाकाव्य  में  ऐसे  अनेक   उदाहरण  हैं  जो  यह  बताते  हैं  कि  सत्ता  का  सुख  भोगने  वालों  में   अन्याय   और  दुष्कृत्य  के  विरुद्ध  आवाज  उठाने  का  साहस   नहीं  होता  l  ऐसे  लोग  न्याय  का  पक्ष  नहीं  ले  पाते   और   न  ही  अपने  आचरण  से  नई  पीढ़ी  को  कोई  दिशा  दे  पाते  हैं   l  -------  द्रोणाचार्य   ने  पांडवों  और  कौरवों  को  धर्नुविद्या  , शस्त्र  विद्या  का  ज्ञान  कराया  l  द्रोणाचार्य  ने  अपने  जीवन  में  गरीबी  के  दिन  देखे  थे  ,  उनका  पुत्र  अश्वत्थामा  जब  दूध  के  लिए  रोता  था   तो  उसकी  माँ  उसे  आटा  पानी  में  घोलकर  पिलाती  थीं  l  वे  उस  समय  दुर्योधन  की  कृपा  से   राजसत्ता  का  सुख  भोग  रहे  थे  ,  और  जानते  थे  कि   दुर्योधन  के  विरोध  से  उन्हें   महात्मा  विदुर  की  भांति  शाक -पात  पर  आना  पड़ेगा  l  ये  सुख  उनसे  छीन  जायेंगे  ,  पांडव  बेचारे  खुद  दर -बदर   भटक  रहे  थे  ,  वे  उन्हें  क्या  देते  l  दुर्योधन  के  एहसान तले  रहने  के  कारण  ही   वे  उसके  द्वारा  पांडवों  के  विरुद्ध  रचे  जाने  वाले  षड्यंत्रों  का   विरोध  नहीं  करते  थे  l  यहाँ  तक  कि  द्रोपदी  के  चीर -हरण  के  समय  भी  उनके  मुँह  पर  ताला  लगा  हुआ  था  l  यही  स्थिति   कुलगुरु  कृपाचार्य  की  थी   l  वे  भी   अपनी  स्वार्थ  सिद्धि , धन  के  लोभ   और  सत्ता  सुख  भोगने  में  लगे  थे  l  भीष्म  पितामह   अपनी  प्रतिज्ञा  से  बंधे  थे   और  दुर्योधन  का  ही  अन्न  खाते  थे   इसलिए  दुर्योधन  की  गलतियों  पर  मौन  रहे  l  महारथी  कर्ण  ,  न्याय -अन्याय  को  समझता  था   लेकिन  जब  सूत -पुत्र  होने  के  कारण  संसार  ने  उसे  अपमानित  किया  तब  दुर्योधन  ने  उसे  गले  लगाकर  , उसका  तिलक  कर  उसे  अंग देश  का  राजा  बनाया  था  ,  अत:  कर्ण  मित्र  धर्म  निभा  रहा  था  l   कारण  चाहे  कुछ  भी  रहा  हो  लेकिन  यह  सत्य  है   कि  जिसने  भी  अत्याचारी , अन्यायी  का  समर्थन  किया  उन  सबका  अंत  हुआ  l  दुर्योधन  ने  जीवन  भर   षड्यंत्र  रचे ,  वह  अधर्म  और  अन्याय  पर  था   इसलिए  पूरे  कौरव  वंश  को  ले   डूबा    l   एक  से  बढ़कर  एक  वीर   राजा  महाराजा   जो  भी  दुर्योधन  के  पक्ष  में  थे  , सभी  का  युद्ध  में  अंत  हुआ  l  ईश्वर  ने  हमें  चयन  की  स्वतंत्रता  दी  है  l  स्वार्थ  और  लोभ  से  ऊपर  उठकर   सत्य  और  न्याय  की  राह  पर  चलें  l