12 July 2013

MIRROR

चित्रकार ने बड़ी मेहनत से भूखे गरीब आदमी का चित्र बनाया | चित्र ऐसा प्राकृतिक लगता कि आदमी की पीड़ा उभरकर कैनवस पर रख दी हो | दर्द से कराहता ,झुरियां पड़ी हुई ,कपड़े चिथड़े तार -तार दर्शाये गये थे | चित्र को देखकर लोगों के मन में दुःख के भाव उभरते | लोग अपनी- अपनी मनोवृति के अनुसार अटकलें लगाते |
             चित्रकार के एक डॉक्टर मित्र ने चित्र को देखा और बड़ी देर तक देखता रहा | अंत में उसकी प्रशंसा करते हुए बोला --"लगता है इस आदमी के पेट में तकलीफ है | वही चित्र में आपने बताई है |
   दुनिया अपने स्वभाव चिंतन के अनुरूप ही दिखाई देती है | 

SEVA - SADHNA

'दुखी को सुखी और सुखी को सुसंस्कृत बनाना ,आदर्शवादिता का अभिवर्धन ही सेवा साधना है | '
      दुःख ,कष्टों का तत्काल संकट निवारण करने के लिये कुछ साधनों की ,सहायता की आवश्यकता पड़ती है ,पर किसी का स्थाई दुःख मिटाना हो तो उसे अपने पैरों पर खड़ा कर स्वावलंबी बनाना होगा |
    दूसरों को ऊँचा उठाने ,आगे बढ़ाने के लिये जो साहस प्रखर होता है -इस परमार्थ परायणता को ही सेवा साधना कहते हैं |
                    मनुष्य जन्म की शुरुआत सेवा से होती है और अंत भी उसी में | जीवन का आदि और अंत -यह दो ऐसी अवस्थाएं हैं ,जब मनुष्य सर्वथा अशक्त ,असमर्थ होता है | इन दोनों का मध्यवर्ती अन्तराल ही ऐसा है ,जिसमे व्यक्ति सबसे सशक्त ,समर्थ और योग्य होता है | यही वह काल होता है ,जब उसे स्वयं पर किये गये उपकारों के बदले समाज को उपकृत करके ऋण चुकाना पड़ता है |
     यदि मनुष्य ऐसा न करे और जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत सेवा -ही -सेवा लेता रहे ,तो उसकी वह कृतध्नता मरणोतर जीवन में ऐसा वज्राघात बनकर बरसती है ,जिसके लिये उसके पास सिर्फ पछतावा ही शेष रहता है |

          सेवा एक साधना है जो इसे भली प्रकार संपन्न कर लेता है ,समझना चाहिये उसने सब कुछ पा लिया | सेवा को सर्वोपरि ईश्वर उपासना कहा गया है |

     
     
                   

 

       नेपल्स नगर के बड़े गिरजे का पादरी था -वोरले | चर्च की आय अच्छी थी पर वहां पूजा -पाठ के अतिरिक्त और कोई काम न होता था | वोरले ने नगर में घूमकर वहां की समस्याओं को समझने का प्रयत्न किया | वहां आवारा लड़कों की संख्या  तेजी से बढ़ती जा रही थी ,उनके द्वारा अन्याय भी बहुत होते थे |
  वोरले ने विचार किया कि इन लड़कों को सुधारने का स्वावलंबी बनाने का काम किया जाना चाहिये | उसने योजना की समग्र रूपरेखा बनाकर उसे लागू करने का दृढ निश्चय किया |


 उसका सुधार कार्य तेजी से बढ़ा ,हर वर्ष लगभग पांच हजार लड़के भरती होते रहे | इसका परिणाम यह हुआ कि नेपल्स नगर अपने समय में सुधरे हुए शहरों में अग्रणी हो गया |