6 October 2018

WISDOM ----- असंयम ही हमारे सभी प्रकार के दुःखों का कारण है l

 भगवान  बुद्ध  के  समय  का  एक  प्रसंग  है -----  एक  बार  एक  धनी  व्यक्ति  भगवान  बुद्ध  के  दर्शन  के  लिए  पहुंचा  l  उसका  शरीर  बहुत  भारी - भरकम  और  बेडौल  था  ,  उसे  चलने  व  झुकने  में  भी  बहुत  कठिनाई  थी  l  उसने  खड़े - खड़े  ही  भगवान  का  अभिवादन  किया   और  विनम्रता  से  बोला  ---- भगवन !  मेरा  शरीर  व्याधियों  का  घर   बन  चुका  है   l  रात  को  न  तो  नींद  आ  पाती  है  और  न  दिन  को  चैन  से  बैठ  पाता  हूँ    l  मुझे  रोगमुक्त  होने  का   कोई  उपाय  बताएं  l "
  भगवन  बुद्ध उसकी  और  करुणा भरी  द्रष्टि  से  देखते  रहे    फिर  बोले ---- " भंते  ! प्रचुर  भोजन  करने  से   उत्पन्न  आलस्य  और  निद्रा ,  भोग  व  अनंत  इच्छाओं  की  कामना,  शारीरिक  श्रम  का  अभाव---- ये  सब  रोग  पनपने  के  कारण  हैं  l   जीभ  पर  नियंत्रण  रखने  ,  संयमपूर्वक  सादा  भोजन  करने ,  शारीरिक  श्रम  करने  ,  सत्कर्म  करने  और   अपनी  इच्छाएं  सीमित  करने  से  ये  रोग विदा  हो  जाते  हैं  l   असीमित  इच्छाएं   शरीर    को   घुन  की  तरह  जर्जर  बना  डालती  हैं  ,  इसलिए  उन्हें  त्यागो   l  '
  सेठ  ने  भगवान  बुद्ध  की  बातों  का  मर्म  समझा   और  उनके  पालन  करने  का  संकल्प  लिया   l   इन  वचनों  को  जीवन  में  धारण   करने  के  साथ    संयमित  जीवन  शैली   को  अपनाकर   वह  सेठ  कुछ  दिनों  में  स्वस्थ  हो  गया  l
  अब  वह  पुन:  भगवान  बुद्ध  से  मिलने  गया ,  उसने  झुककर  प्रणाम  किया   और  कहा --- " शरीर  का  रोग  तो  आपकी  कृपा  से  दूर  हो  गया  ,  अब  चित  कैसे  शांत  हो  ? "
 बुद्ध  ने  कहा ---- "  अच्छा  सोचो , अच्छा  करो   और  अच्छे  लोगों  का  संग  करो   l  विचारों  का  संयम  चित  को  शांति  और  संतोष  देगा   l  "    

WISDOM ----- कोई भी शक्तिमान , सामर्थ्यवान हो सकता है , पर भगवान नहीं

   अति  का  अहंकार  नाश  का  कारण  होता  है  l   दसों  दिशाओं  में  रावण  का  आतंक  फैला  था  l  कोई  यह  सोच  भी  नहीं  सकता  था   कि  उसका  विरोध - प्रतिरोध  किया  जा  सकता  है   l  अनीति  जब  चरम  सीमा  पर  पहुंची  ,  राम जन्म  की  तैयारी  होने  लगी  l  तब  भगवान  की  सहायतार्थ   देवता --- रीछ , वानर , गिद्ध  आदि    जाग्रत  वरिष्ठ  आत्माओं  के  रूप  में  जन्मे   और  अपने  शौर्य - साहस  का  परिचय   देते  हुए  धर्म  युद्ध  में  सहायक  होकर   अवतार  के  प्रयोजन  की  पूर्ति  की   l