29 June 2023

WISDOM -----

 1 .    संत  रैदास  की  एक  बार  इच्छा  हुई  कि  वे  चित्तौड़  की  रानी  झाली  के  यहाँ  जाएँ  , जिसने  काशीवास  में   आमंत्रण  दिया  था  l  संत  के  आने  पर  भंडारा  हुआ  l  सभी  विद्वानों  को  आमंत्रित  किया  गया  l  एक  अछूत  चमड़ा  गांठने  वाले  का   इतना  सम्मान  देखकर   ब्राह्मणों  ने  यह  निर्णय  लिया  कि   आवश्यक  खाद्य  सामग्री  लेकर  वे  स्वयं  भोजन  बनाएंगे  l  जब  वे  अलग  से  भोजन  करने  बैठे   तो  देखा   कि  हर  ब्राह्मण  पंडित  की  बगल  में  , एक  रैदास  बैठें  हैं  l  यह  देख  सभी  रैदास  के  चरणों  में  गिर  पड़े  और  क्षमा  मांगी  l  ईश्वर  की  नजर  में  कोई  बड़ा , छोटा , ऊँच -नीच  नहीं  है  l  जाति  और  धर्म  के  आधार  पर  भेदभाव  तो  मनुष्य  ने  अपने  स्वार्थ  और  अहंकार  की  पूर्ति  के  लिए  किया  है  l  

2 .     रामकृष्ण  परमहंस  परस्पर  चर्चा  में  शिष्यों  को  बता  रहे  थे  --- मनुष्यों  में  कुछ  देवता  होते  हैं  ,  शेष  तो  नर पिशाच  ही  होते  हैं  l  नरेंद्र  ने  पूछा --- भला  इन  नर पिशाचों ,  मनुष्यों  और  देवताओं  की  पहचान  क्या  है  ? '  परमहंस जी  ने  कहा ----वे  मनुष्य  देवता  हैं   जो  दूसरों  को  लाभ  पहुँचाने  के  लिए   स्वयं  हानि  उठाने  के  लिए   तैयार  रहते  हैं  l      मनुष्य  वे  हैं   जो  अपना  भी  भला  करते  हैं  और  दूसरों  का  भी   l  नर पिशाच  वे  हैं   जो  दूसरों  की  हानि  ही  सोचते  और  करते हैं  ,  भले  ही  इस   प्रयास  में  उन्हें   स्वयं  भी  हानि  उठानी  पड़े  l "